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METAVERSE : मेटावर्स यानी आभासी दुनिया के दीदार

Published: Oct 30, 2021 11:38:01 pm

Submitted by:

pushpesh

-अनुमान है कि 2035 तक मेटावर्स 74.8 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री हो सकती है।
-मेटावर्स ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक के कॉम्बिनेशन पर काम करता है।
-फेसबुक ने अपना नाम बदलकर ‘मेटा’ कर दिया है (Facebook has changed its name to ‘Meta’)

METAVERSE : मेटावर्स यानी आभासी दुनिया के दीदार

मेटावर्स का इस्तेमाल डिजिटल दुनिया में वर्चुअल, इंटरेक्टिव स्पेस को समझाने के लिए किया जाता है।

अपनी अलग पहचान बनाने के बाद फेसबुक ने अपना नाम बदलकर ‘मेटा’ कर दिया है। दरअसल फेसबुक ने नई तकनीक मेटावर्स के लिए खुद को रिब्रांड किया है। सोशल मीडिया कंपनी अपना नाम बदलने के साथ काफी कुछ नया करने की तैयारी में है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग पहले कह चुके हैं कि फेसबुक एक ऐसी ऑनलाइन दुनिया तैयार कर रही है, जो यूजर को अलग सा अनुभव कराएगी।
क्या है मेटावर्स? (What is Metaverse?)
मेटावर्स एक वर्चुअल वल्र्ड यानी ऐसी आभासी दुनिया है जिससे यूजर्स डिजिटल वल्र्ड में प्रवेश कर सकेंगे। इस दुनिया में यूजर्स की अलग पहचान होगी। यहां वर्चुअल घूमने से लेकर सामान की खरीदारी और दोस्तों-रिश्तेदारों से मिल सकेंगे। फेसबुक खुद को एक सोशल मीडिया कंपनी से आगे ले जाकर कुछ नया और अलग करने की तैयारी में है।
ये कंपनियां कर रहीं मेटावर्स पर काम
मेटावर्स में सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, एसेट रिक्रिएशन, इंटरफेस रिक्रिएशन, प्रोडक्ट और फाइनेंशियल सर्विसेस जैसी कई कैटेगरी होती हैं। इन सभी कैटेगरी पर सैकड़ों कंपनियां काम कर रही हैं। फेसबुक के अलावा गूगल, एपल, स्नैपचैट और एपिक गेम्स वो बड़े नाम हैं, जो मेटावर्स पर कई सालों से काम कर रहे हैं। अनुमान है कि 2035 तक मेटावर्स 74.8 लाख करोड़ रुपए की इंडस्ट्री हो सकती है।
कैसे काम करता है?
मेटावर्स का इस्तेमाल डिजिटल दुनिया में वर्चुअल, इंटरेक्टिव स्पेस को समझाने के लिए किया जाता है। मेटावर्स ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक के कॉम्बिनेशन पर काम करता है।
एक उदाहरण से समझें
मेटावर्स से इंटरनेट का इस्तेमाल कैसे बदलेगा, इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। जैसे- वर्चुअल वल्र्ड को एंजॉय कर रहे हैं। यहां की एक दुकान में आपको एक टीवी पसंद आ गया, तो उसे खरीद सकेंगे। इसे खरीदने के लिए डिजिटल करंसी का इस्तेमाल किया जाएगा। यहां पर आप जो भी एड्रेस देंगे, वहां पर इस टीवी को डिलीवर कर दिया जाएगा। इस तरह आप वर्चुअल शॉपिंंग का इस्तेमाल कर सकेंगे।
दूसरे प्लेटफार्म पर इस्तेमाल कर सकता है फेसबुक
फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग का मानना है कि आने वाले समय में मेटावर्स दुनिया की वास्तविकता होगी। वो मेटावर्स तकनीक की इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहते हैं। कई मीडिया रिपोट्र्स में दावा किया गया है कि फेसबुक अपने दूसरे प्लेटफार्म जैसे वाट्सऐप पर भी मेटावर्स तकनीक का प्रयोग कर सकता है। इस तरह यूजर को कुछ नई चीज मिलने के साथ अनुभव भी पहले से बेहतर होगा। फेसबुक के आधिकारिक ब्लॉग के अनुसार, कंपनी अभी मेटावर्स को बनाने के शुरुआती चरण में है। मेटावर्स को पूरी तरह से विकसित होने में 10 से 15 साल लग सकते हैं,क्योंकि मेटावर्स को केवल कोई एक कंपनी मिलकर नहीं बना सकती। ये अलग-अलग टेक्नोलॉजी का बड़ा सा जाल है जिस पर कई कंपनियां मिलकर काम कर रही हैं।
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