अगर ग्लूकोमा का सही से इसका इलाज न करवाया जाए, तो इसके और भी कई गंभीर नुकसान हैं। ग्लूकोमा के अधिकतर मामलों में सही इलाज व नियंत्रण से अंधेपन को रोका जा सकता है। ग्लूकोमा इंट्राओकुलर प्रेशर (आईओपी) के उच्च स्तर से संबंधित है। ऐसे में अगर एक लंबे समय तक की अवधि में किसी इंसान की आईओपी पर सटीकता से गौर फरमाया जाए, तो काफी हद तक उनके देखने की शक्ति को बरकरार रखने में मदद मिल सकती है।
मोबाइल मेजरमेंट मेथड के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साउंडवेव्स आईओपी की बढ़ती मात्रा का पता लगाने में मददगार है, जिससे रोग के होने का पता जल्दी लग जाएगा और इस हिसाब से इसका उपचार भी जल्दी शुरू होगा। इंजीनियरिंग रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में दिखाया गया है कि ब्रिटेन के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने साउंडवेव्स और एक आई मॉडल का इस्तेमाल कर अपने प्रयोग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
विश्वविद्यालय में एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग ग्रुप के निदेशक खामिस एससा ने कहा कि हमने किसी वस्तु के आंतरिक दबाव और उसके ध्वनिक प्रतिबिंब गुणांक के बीच संबंध की खोज की है। आंखों की बनावट और साउंडवेव्स के प्रति इनकी प्रतिक्रिया का अधिक अध्ययन करने पर हमने पाया कि घर में बैठे आईओपी का निर्धारण करने के लिए संभावित रूप से स्मार्टफोन का इस्तेमाल किया जा सकता है।