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सालाना ज़िंदगी के अहम् 200 घंटे आम आदमी ट्रैफिक में गुज़ार देता है

200 घंटे सालाना आम आदमी औसतन ट्रैफिक में गुज़ार देता है   -यह सप्ताह के 5 दिनों के बराबर है यानी इतने दिन बिना उत्पादकता के व्यर्थ हो जाते हैं हमारे

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जयपुर

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Mohmad Imran

Jul 28, 2019

यह सप्ताह के 5 दिनों के बराबर है यानी इतने दिन बिना उत्पादकता के व्यर्थ हो जाते हैं हमारे

200 घंटे सालाना आम आदमी औसतन ट्रैफिक में गुज़ार देता है

ऑटोनोमस वाहनों के दौर में क्यों चाहिए सार्वजनिक परिवहन
आमुख: तकनीकी क्रांति ने स्वचालित वाहनों (ऑटोनोमस व्हीकल्स या एवी) के लिए प्रवेश द्वार खोल दिए हैं। आज बस इन वाहनों के सार्वजनिक परिवहन के रूप में उपयोग होने का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन रोज बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए विशेषज्ञ अब भी सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दे रहे हैं।


इस बात पर आम सहमति बढ़ रही है कि निजी इलेक्ट्रिक एवी भले ही प्रदूषण कम करें लेकिन वे शहरों में यातायात व्यवस्था को भी बिगाड़ देंगे। क्योंकि एक सवारी के लिए एक वाहन हमारी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। ज्यादातर विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि शहरों में निजी एवी की बजाय सार्वजनिक परिवहन को तरजीह दी जानी चाहिए। रोबो टैक्सी ऐप से पूरा शहर ही एक ऐप स्टोर में बदल जाएगा। वहीं ऐप से वाहन बुक करने से ज्यादा सरल स्थानीय बस या मेट्रो में सफर करना है। आइए देखें कि क्यों ऑटोनोमस व्हीकल सार्वजनिक परिवहन का विकल्प नहीं बन सकते। आइये देखें की अगर ऑटोनोमस वाहनों को सार्वजनिक परिवहन के साथ मर्ज कर दें तो किस तरह की सुविधाएं मिलेंगी और क्यों ज़रूरी है पब्लिक ट्रांसपोर्ट