जब ठगों को पकडऩे के मकसद से वास्तविक साइबर सुरक्षा कंपनी ने खोजबीन की तो पता चला कि फर्जी अकाउंट से ईमेल भेजने वाले गिरोह के सदस्य नाइजीरिया, घाना और केन्या से नेटवर्क संचालित कर रहे हैं। बीते सप्ताह प्रकाशित अगारी साइबर सुरक्षा कंपनी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल अप्रैल और अगस्त के बीचइस गिरोह ने दुनियाभर में लगभग 2100 कंपनियों में 3000 से अधिक लोगों को ऐसे कॉर्पोरेट मेल के जरिए अपना निशाना बनाया था। वहीं हाल ही मामले की जांच कर रही अमरीकी जांच एजेंसी एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अमरीका में इस तरह के ईमेल ठगी के मामले उन राज्यों में ज्यादा बढ़ गई है जहां आमतौर पर प्रायोजित हैक या रैंसमवेयर जालसाजी के मामले बहुत सामान्य न हों। एफबीआई का कहना है कि कॉर्पोरेट ईमेल के जरिए ठगी करने वाले गिरोह की वारदातें मई 2018 से जुलाई 2019 तक 100 फीसदी तक बढ़े हैं। जून 2016 से जुलाई 2019 तक 166,349 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान जालसाजों ने 262० करोड़ रुपए की वैश्विक ठगी कर डाली थी।
ठग पैसों के ट्रांजेक्शन के लिए एक ईमेल करते हैं जिसमें तत्काल एक तय राशि चेक द्वारा देने के लिए कहा जाता है। ईमेल अक्सर सीईओ, वाइस प्रेसिडेंट या डायरेक्टर जैसे किसी उच्च पद के अधिकारी की ईमेल के फर्जी अकाउंड से भेजा जाता है। ईमेल में अधिकारी तुरंत पैसा ट्रांसफर करने का अनुरोध करेगा। ऐसे ही कई बार पेरोल कर्मचारियों को प्रीपेड कार्ड खाते में अपनी प्रत्यक्ष जमा जानकारी (डीडीआइ) को अपडेट करने का अनुरोध करने वाला ईमेल मिलेगा। जब तक कंपनियों को इस ठगी का पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है।