एचआईवी एक संक्रामक बीमारी है, हालांकि ये छूने, साथ में खाने आदि से नहीं फैलते, इसके फैलने की वजह अलग होती है। एचआईवी जब अनकंट्रोल होता है तब एड्स में बदल जाता है। एड्स को एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम (Acquired ImmunoDeficiency Syndrome) कहा जाता है। एचआईवी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस कहलाता है। एड्स से कोई व्यक्ति तब ग्रस्त होता है, जब वायरस सफेद रक्त कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को डैमेज कर देता है। इसलिए एचआईवी संक्रमण का उपचार यदि सही तरीके से हो तो एड्स होने की प्रक्रिया को टाला जा सकता है।
1. एक से अधिक या संक्रमित व्यक्ति के साथ अगर बिना किसी प्रोटेक्शन के अगर सेक्सुअल एक्टिविटी की जाए तो एचआईवी होने का खतरा होता है।
2. यदि एक ही इंजेक्शन का कई लोगों पर इस्तेमाल या एचआईवी ग्रस्त इंसान के इंजेक्शन स्वस्थ व्यक्ति को लग जाए तो बीमारी होती है।
3. एचआईवी संक्रमित रक्त में घावों और खुले घावों के संपर्क में आने से खतरा बढ़ता है।
4. गर्भस्त शिशु को अपनी मां से एचआईवी एड्स हो सकता है।
एचआईवी से बचाव का उपाय सतर्कता है। ऊपर दिए गए कारणों से बचाव और सर्तक रहकर ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। एचआईवी से एड्स न होने पाए इसके लिए इम्युनिटी पर विशेष फोकस करना चाहिए।
एचआईवी संक्रमित होने के कई महीनों तक इसके लक्षण को पकड़ पाना आसान नहीं होता है। क्योंकि इसे लक्षण सामान्य संक्रमण की तरह ही नजर आते हैं। एचआईवी जब गंभीर स्टेज में पहुंचता है तब वेजाइना में यीस्ट इंफेक्शन और श्रोणि सूजन की समस्या नजर आती है। हालांकि इससे पहले शरीर में नीचे दिए गए संकेत जरूर मिलते हैं। जैसे,
अचानक से लगातार सिरदर्द रहना।
बिना काम के भी हमेशा थकान महसूस होना।
रह-रहकर चक्कर आते रहना।
वज़न का कम होते जाना
पेट खराब या दस्त की समस्या होना।
रात में सोते समय पसीना आना
हमेशा बुख़ार सा बने रहना।
सूखी खांसी होना।
कुछ लोगों के स्किन पर अपर्याप्त बैंगनी विकास, रक्तस्राव, त्वचा पर चकत्ते, पक्षाघात, मानसिक भ्रम की समस्या होती है। डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। ‘पत्रिका’ इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।