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कही आपके बच्चों को तो नहीं है Dry Eyes की समस्या, अगर हाँ, तो वजह Screen time

Dry eyes problem due to screen time : आज के इस जमाने में हर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करने लगा है। लोगों का आधा समय तो ​मोबाइल की स्क्रीन को स्कोरल करने में ही निकल जाता है। इसमें सबसे ज्यादा छोटे बच्चें प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों में ड्राई आइज (dry eyes) की समस्या […]

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Dry Eyes

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Dry eyes problem due to screen time : आज के इस जमाने में हर कोई सोशल मीडिया का उपयोग करने लगा है। लोगों का आधा समय तो ​मोबाइल की स्क्रीन को स्कोरल करने में ही निकल जाता है। इसमें सबसे ज्यादा छोटे बच्चें प्रभावित हो रहे हैं। बच्चों में ड्राई आइज (dry eyes) की समस्या बढ़ती जा रही है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकिएट्री के अनुसार , बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम आने वाले समय में बड़ी समस्या के रूप में सामने आ सकता है। इससे कई बीमारियों का खतरा बढ़ने कि समस्या उत्पन हो सकती है।

इंडियन जर्नल ऑफ ऑफथेल्मोलॉजी में पब्लिश एक स्टडी से पता चलता है कि ज्यादा स्क्रीन देखने के कारण बच्चों में ड्राई आंखों की समस्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बच्चों के गेम एडिकशन को लेकर चिंता जाहिर कि थी और बताया था कि गेम एडिक्शन की लत आने वाले समय में ड्रग्स और मादक पदार्थों की लत की तरह साबित हो सकती है। इसलिए इस पर जल्द से जल्द कोई ठोस कानून लाना जरूरी है।

स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों में बढ़ रही ये समस्याएं

  • नींद आने में देरी
  • आंखों का ड्राई होना
  • सेल्फ इमेज में में परेशानी
  • किताबों की प्रति रू​चि में कमी
  • प्रक​ति से बढती दूरी
  • अटेंशन डिसऑर्डर में बढती समस्या

बच्चों में ​स्क्रीन टाइम को लेकर WHO की गाइडलाइन

विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकन एकेडमी ऑफ चाइल्ड एंड एडोलेसेंट साइकिएट्री की जारी गाइडलाइन में बच्चों की उम्र के अनुसार उनकी स्क्रीन टाइम तय कि है।

  • WHO ने बताया है कि 2 से कम वर्ष के बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • 2 से 5 साल के बच्चों को प्रतिदिन 1 घंटा मोबाइल का उपयोग करना चाहिए और अवकाश के दिन 3 घंटे।
  • 6 साल से और उससे ​अधिक बच्चों को अपनी हेल्दी लाइफस्टाइल के अनुसार मोबाइल का उपयोग करना चाहिए।

बच्चों का ​स्क्रीन टाइम एक साथ नहीं करें कम

बच्चों में स्क्रीन टाइम को एक साथ कम ​नहीं किया जा सकता है ऐसा करने पर बच्चें तरह तरह कि जिद कर सकते हैं। इसलिए बच्चों को इसके बारे में पहले जागरूक करना होगा उनको सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव बताने होगें । हमें डिवाइस या मोबाइल में छोटे बच्चों द्वारा देखे जा सकने वाले कंटेंट को सीमित करने के लिए पेरेंटल कंट्रोल को सेट करना चाहिए और स्क्रीन टाइम के लिए उनसे अच्छी बातचीत करें। उन्हें बताएं कि कुछ सीमाएं निर्धारित करना कितना जरूरी है।