ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा (Sharad Purnima Moon) की किरणों से धरती पर अमृत बरसता है। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है। हालांकि इसके वैज्ञानिक महत्व भी हैं। शरद पूर्णिमा के बाद ही सर्दी का हल्का मौसम शुरू हो जाता है जिसे हेमंत ऋतु कहा जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की विशेष कृपा मानी गई है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन वो विचरण करती हैं इसलिए उनकी पूजा शरद पूर्णिमा पर जरूर करनी चाहिए।
इस बार शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 को पड़ रही है। शरद पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त की बात करें तो शाम 5 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 31 अक्टूबर को रात 8 बजकर 18 मिनट पर खत्म होगी।
शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने के बाद उसे किसी चांदी के बर्तन में रखना चाहिए। उसके बाद उसे चंद्रमा की रोशनी में रख देना चाहिए। चंद्रमा की तेज रोशनी में चावल में मौजूद स्टार्च दूध के अच्छे बैक्टिरिया को बनाने में मदद करता है। जिससे खुले आसमान में रखी खीर खाने में फायदेमंद होती (Sharad Purnima importance) है। इतनी ही नहीं हिंदू मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा की खीर अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसके अलावा चर्म रोग से परेशान लोगों को इस दिन की खीर अवश्य खानी चाहिए।
जिन लोगों की आंखों की रोशनी कमजोर हो गई हो उन्हें चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर जरूर खानी चाहिए। इसके अलावा तेज चंद्रमा की रोशनी वाली खीर दिल के मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होती है।