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TOKYO OLYMPIC : जिंदगी के लिए बड़ा सबक है सिमोन का ओलंपिक से हटना

TOKYO OLYMPIC: मानसिक स्वास्थ्य: उपलब्धि जरूरी, पर सेहत की कीमत पर नहीं

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TOKYO OLYMPIC: photo patrika

मानसिक कारणों से अमरीकी एथलीट सिमोन बाइल्स का ओलंपिक से हटना बच्चों के लिए बड़ा संदेश है। अमरीकी बाल मनोचिकित्सक डॉ. हेलेन एगर के मुताबिक मानसिक स्वास्थ्य हमारे समग्र स्वास्थ्य और वेलनेस का हिस्सा है। सिमोन की तरह अल्पकालिक उपलब्धि के लिए सेहत के दीर्घकालिक नुकसान का अर्थ तब समझ आता है, जब आपको इसकी जरूरत होती है। बाइल्स का निर्णय पिछले वर्षों की तुलना में एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि ऐसी उम्मीद की जाती है कि एथलीट सेहत और सुरक्षा से ज्यादा जीत को प्राथमिकता देंगे। वर्ष 1996 में अमरीकी जिम्नास्ट केरी स्ट्रग ने टखने की चोट के बावजूद प्रदर्शन किया। उस प्रदर्शन के बाद केरी को देश ने सिर आंखों पर बिठाया, लेकिन वह फिर कभी खेल नहीं सकीं।

एकाग्रता जरूरी
बाइल्स का हटना इस लिहाज से भी उचित कदम है, क्योंकि मानसिक रूप से स्वस्थ हुए बिना जिम्नास्ट या अन्य एथलीट ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, उनके शरीर और दिमाग को यह भान नहीं रहता कि हवा में उछलने के बाद वह कहां जाएगा। सभी खेलों में अच्छे प्रदर्शन के लिए एकाग्रता होना जरूरी है।

खुद को न भूलें
जीत के दबाव के सामने स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देकर बाइल्स ने अत्यधिक साहस का परिचय दिया है। यह बच्चों के लिए एक उदाहरण हो सकता है कि हर कीमत पर जीत चाहने वाली दुनिया में हम खुद की जीत को न भूलें।

अभिभावक जिम्मेदारी समझें : बाइल्स का निर्णय अभिभावकों के लिए भी चिंतन का विषय है। बच्चों की सुरक्षा की बात को महत्वाकांक्षाओं के तले न दबाएं।