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Blue Christmas क्या है, क्रिसमस से कैसे अलग होता है, जानिए कब और क्यों मनाया जाता है

Blue Christmas Day: ब्लू क्रिसमस से जुड़ा एक शांत और भावनात्मक आयोजन है, जो उन लोगों की भावनाओं को समझने के लिए होता है जिन्हें त्योहारों के दौरान खुशी के बजाय खालीपन या उदासी महसूस होती है।

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भारत

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MEGHA ROY

Dec 20, 2025

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Christmas Without Celebration| फोटो सोर्स -Grok@Ai

Blue Christmas Day: क्रिसमस का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के जेहन में जगमगाती लाइट्स, सजे हुए क्रिसमस ट्री, केक, गिफ्ट्स और हंसी-खुशी का माहौल उभर आता है। यह समय परिवार के साथ बैठने, खुशियां बांटने और साल के अंत का जश्न मनाने का होता है।लेकिन सच यह भी है कि हर किसी के लिए त्योहार का मौसम खुशियों से भरा नहीं होता।कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके लिए क्रिसमस बीते अपनों की यादें लेकर आता है। किसी ने अपने माता-पिता को खो दिया होता है, किसी ने जीवनसाथी को, तो कोई अकेलेपन या मानसिक थकान से जूझ रहा होता है। जब चारों ओर जश्न का शोर होता है, तब भीतर की खामोशी और भी गहरी महसूस होती है।इसी एहसास को जगह देने के लिए ब्लू क्रिसमस की परंपरा सामने आई।

 Blue Christmas क्या होता है?

ब्लू क्रिसमस कोई उत्सव नहीं, बल्कि एक भावनात्मक सहारा है। यह उन लोगों के लिए होता है जो छुट्टियों के दौरान दुख, शोक, खालीपन या अकेलेपन का अनुभव करते हैं।इसका मकसद लोगों को खुश होने के लिए मजबूर करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अगर आप इस समय खुश नहीं हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।यह एक ऐसा सुरक्षित माहौल देता है जहाँ इंसान अपनी भावनाओं को छिपाए बिना महसूस कर सकता है, बिना किसी दबाव, बिना किसी दिखावे के।

Blue Christmas कब मनाया जाता है?

अधिकतर जगहों पर ब्लू क्रिसमस को 21 दिसंबर, यानी साल की सबसे लंबी रात के आसपास रखा जाता है। यह समय प्रतीकात्मक रूप से भी बहुत गहरा अर्थ रखता है ।अंधेरे के बीच एक छोटी-सी रोशनी की उम्मीद।साल 2025 में भी कई देशों, चर्चों और सामाजिक समूहों द्वारा इसी समय के आसपास Blue Christmas से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। हालांकि इसकी कोई तय तारीख नहीं होती।

 Blue Christmas की शुरुआत कैसे हुई?

“Blue Christmas” शब्द को लोकप्रियता 1957 में एल्विस प्रेस्ली के मशहूर गीत ब्लू क्रिसमस से मिली, जिसमें अकेलेपन और टूटे दिल की पीड़ा झलकती है।बाद में चर्चों और सामुदायिक संगठनों ने महसूस किया कि त्योहारों के दौरान हर इंसान खुश नहीं होता। तभी ऐसे विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जहां शोक और उदासी को भी सम्मान दिया गया।आज ब्लू क्रिसमस एक वैश्विक पहचान बन चुका है और मानसिक सेहत को लेकर एक संवेदनशील पहल माना जाता है।

Blue Christmas कैसे मनाया जाता है?

यह आयोजन जगह-जगह अलग रूप ले सकता है, लेकिन इसका मूल भाव एक-सा रहता है। अंधेरे में जली मोमबत्ती न सिर्फ रोशनी देती है, बल्कि उम्मीद और यादों की मौजूदगी का एहसास भी कराती है। इसमें शामिल लोग अगर चाहें तो अपने अनुभव, दर्द या भावनाएं साझा करते हैं, जहां किसी तरह का जजमेंट नहीं होता, सिर्फ सुनने और समझने की भावना होती है। माहौल को और शांत बनाने के लिए हल्का, भावनात्मक संगीत बजाया जाता है, जो दिल को सुकून देता है। कई बार शब्दों की जगह खामोशी और ध्यान ज्यादा असर छोड़ते हैं, क्योंकि वही पल आत्मचिंतन और जुड़ाव को गहराई देता है।

क्रिसमस और Blue Christmas में क्या अंतर है?

पारंपरिक क्रिसमस खुशियों, जश्न, मेल-मिलाप और सामूहिक उत्सव का प्रतीक है।वहीं ब्लू क्रिसमस उन भावनाओं को जगह देता है जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है जैसे  दुख, शोक, यादें और अकेलापन।जहां एक ओर क्रिसमस रोशनी और उत्साह से भरा होता है, वहीं ब्लू क्रिसमस अंधेरे में भी उम्मीद की एक छोटी-सी किरण जलाए रखता है।