
file Photo of Yogi Adityanath
उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़े से कड़ा रुख अपना रही है। इसी कड़ी में शासन ने एक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 साल से कारगार विभाग में नौकरी पाने वाले 10 बंदीरक्षकों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई फर्जी प्रमाणपत्र के नाम पर नौकरी करने वालों पर होगी। नौकरी के पहले ही दिन से उनकी सेवाएं शून्य मानते हुए सेवाकाल के दौरान लिए गए वेतन व भत्तों की वसूली की जाएगी।
तत्काल प्रभाव से जेलकर्मी बर्खास्त
जिला जेल के वरिष्ठ जजेल धीक्षक आशीष तिवारी ने कहा कि विजिलेंस की रिपोर्ट के बाद शासन के निर्देश पर लखनऊ मंडल की विभिन्न जेलों में तैनात इन जेलकर्मियों को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। उनसे रिकवरी का आदेश जारी कर दिया गया है।
अफसरों पर भी गिरि गाज़
उन्होंने कहा कि इन बंदीरक्षकों ने 2007 में खेलकूद व होमगार्ड समेत अन्य फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हासिल की थी। केंद्रीय कारागार आगरा के तत्कालीन वरिष्ठ जेल अधीक्षक अंबरीश गौडड़ की अगुवाई में गठित कमेटी ने इसकी भर्ती की थी। जब भर्ती पपर सवाल उठने लगे तो शासन ने विजिलेंस से इसकी जांच कराई थी। जांच में कई अफसर दोषी पाए गए। भर्ती घोटाले में दोषी जेल अफसरों पर भी गाज गिरनी तय है। विजिलेंस टीम ने शासन को भेजी जांच रिपोर्ट में इन पर कार्रवाई की सिफारिश की है। इनकी बर्खास्तगी संयोग लता, प्रवीण कुमार, परिक्रमा दीन, दिनेश कुमार, अनिल यादव, राजकिशोर, आनंद प्रकाश, दान सिंह, संजय कुमार व शिव बहादुर।
Published on:
13 Jun 2022 02:33 pm
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