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104 पूर्व अफसरों ने योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र, कहा उत्तर प्रदेश घृणा की राजनीति का बन चुका है केंद्र

locationलखनऊPublished: Dec 30, 2020 09:47:37 am

Submitted by:

Karishma Lalwani

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 104 पूर्व अफसरों ने पत्र लिखकर यूपी को विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बताया है।

104 पूर्व अफसरों ने योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र, कहा उत्तर प्रदेश घृणा की राजनीति का बन चुका है केंद्र

104 पूर्व अफसरों ने योगी आदित्यनाथ को लिखा पत्र, कहा उत्तर प्रदेश घृणा की राजनीति का बन चुका है केंद्र

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 104 पूर्व आईएएस अफसरों ने पत्र लिखकर यूपी को विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बताया है। पत्र में कहा गया है, ”यूपी, जिसे कभी गंगा-जमुनी तहजीब को लेकर जाना जाता था, वो अब घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन गया है और शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में युवा भारतीयों के खिलाफ प्रशासन द्वारा किए गए जघन्य अत्याचारों की एक श्रृंखला तैयार हो गयी है।”
यूपी को जघन्य अपराधों का केंद्र बताे हुए पत्र में कई मामलों का जिक्र किया गया है। पत्र में कहा गया कि इस महीने के शुरू मुरादाबाद में अल्पसंख्यकों को कथित रूप से बजरंग दल द्वारा कथित रूप से दोषी ठहराया गया था। पिछले हफ्ते यूपी के बिजनौर में दो किशोरों को पीटा गया था, परेशान किया गया और एक पुलिस स्टेशन में ले जाया गया जहां “लव जिहाद” का मामला दर्ज किया गया।
छड़ी की तरह उपयोग किया जा रहा अध्यादेश

पत्र में इस बात की भी शिकायत की गई है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश का उपयोग एक छड़ी के तौर पर किया जा रहा है। विशेष तौर से उन भारतीय पुरुषों को पीड़ित करने के लिए जो मुस्लिम हैं और महिलाएं हैं जो अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करने की हिम्मत रखते हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले सप्ताह यही बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि महिला एक वयस्क है और उसे “अपनी शर्तों पर जीवन जीने का अधिकार” है।
104 आईएएस में इनका भी नाम शामिल

पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर भी शामिल हैं। पत्र के माध्यम से उन लोगों ने मांग की है कि अवैध अध्यादेश को वापस ले लिया जाए। हस्ताक्षरकर्ताओं ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सहित सभी राजनेताओं को “संविधान के बारे में अपने आप को फिर से शिक्षित करने की जरूरत है, जिसे आपने बरकरार रखने के लिए शपथ ली है।”
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