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150 साल बाद पड़ेगा 2018 का पहला chandra grahan कल, घोलेगा आपके जीवन में प्रेम रस !

150 साल बाद आया ऐसा चंद्रग्रहण, महिलाओं के लिए ये बातें जानना है सबसे जरूरी, नहीं तो...

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Jan 30, 2018

 horoscope lunar eclipse

150 साल बाद पहला चंद्र ग्रहण, इन राशि वालों को मिलेगा प्रेम और तरक़्की

लखनऊ , माघ मास, शुक्ल पक्ष, चतुर्दशी,पुनर्वसु नक्षत्र, सूर्य उत्तरायण,शिशिर ऋतु, युगाब्ध 511 9,
विक्रम संवत-2074 , मंगलवार, यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः,
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते ,त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।

पंडित शक्ति मिश्रा ने बतायाकि भावार्थ :- घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है।

पंडित शक्ति मिश्रा अनुसार 2018 में 31 जनवरी को पड़ने वाले प्रथम पूर्ण chandra grahan का सूतक काल 8 बजकर 18 मिनट पर प्रारंभ हो जायेगा। इस अवधि के बाद से मंदिरों में पूजा अर्चना और भगवान को भोग लगाना निषिद्ध हो जायेगा। सम्‍पूर्ण भारत में दिखने के कारण देश में chandra grahan 5 बजकर 18 मिनट पर प्रारंभ हो जायेगा जबकि रात्रि 8 बजकर 53 मिनट पर उग्र यानि समाप्‍त होगा।

यह ग्रहण जिनके लिए होगा शुभ

यह chandra grahan पुष्‍य एवम् अश्‍लेषा नक्षत्र और कर्क राशि में होगा इसलिए इसका सर्वाधिक प्रभाव इसी नक्षत्र में जन्‍मे लोगों पर ही पड़ेगा। इनके लिए इस ग्रहण के प्रभाव अत्‍यंत शुभकारी होंगे। इन लोगों की लंबे समय से चली आ रही चिंतायें समाप्‍त होंगी और आर्थिक लाभ भी होंगे।

ध्यान रखने वाली बाते

chandra grahan की अवधि में कई बातों का ख्‍याल रखना आवश्‍यक होता है। पंडित जी की माने तो इस समय गर्भवती महिलायें घर के बाहर ना निकलें तो उचित होगा। वैसे तो सूतक की अवधि के बाद भोजन का निषेध बताया जाता है परंतु ये नियम बच्‍चों, बुजुर्गों और रोगियों पर लागू नहीं होता। ये लोग समय पर भोजन और दवाओं को लेने में संकोच ना करें।


31 जनवरी, खग्रास chandra grahan

(भूभाग में ग्रहण समय – शाम 5.17 से रात्रि 8.42 तक) (पूरे भारत में दिखेगा, नियम पालनीय ।)
चन्द्रग्रहण बेध (सूतक) का समय सुबह 8.17 तक भोजन कर लें । बूढ़े, बच्चे, रोगी और गर्भवती महिला आवश्यकतानुसार दोपहर 11.30 बजे तक भोजन कर सकते हैं । रात्रि 8.42 पर ग्रहण समाप्त होने के बाद पहने हुए वस्त्रोंसहित स्नान और चन्द्रदर्शन करके भोजन आदि कर सकते हैं ।

ग्रहण पुण्यकाल

पंडित प्रकाश मिश्र जिन शहरों में शाम 5.17 के बाद चन्द्रोदय है वहाँ चन्द्रोदय से ग्रहण समाप्ति (रात्रि 8.42) तक पुण्यकाल है । शहरों का स्थान और चन्द्रोदय नीचे कुछ मुख्य शहरों का चन्द्रोदय दिया जा रहा है उसके अनुसार अपने-अपने शहरों का ग्रहण के पुण्यकाल जानकर अवश्य लाभ लें ।


> लखनऊ (शाम 5.41), मुजफ्फरपुर (शाम 5.23), नागपुर (शाम 5.58),
बैंगलुरू (शाम 6.16),
भोपाल (शाम 6.02),
चंडीगढ़ (शाम 5.52),
चेन्नई (शाम 6.04),
कटक (शाम 5.32),
देहरादून (शाम 5.47),
दिल्ली (शाम 5.54),
गया (शाम 5.27),
हरिद्वार (शाम 5.48),
जालंधर (शाम 5.56),
कोलकत्ता (शाम 5.17),
वाराणसी (शाम 5.18), इलाहाबाद (शाम 5.40), अमृतसर (शाम 5.58),
नासिक (शाम 6.22),
पटना (शाम 5.26),
पुणे (शाम 6.23),
राँची (शाम 5.28),
उदयपुर (शाम 6.15),
उज्जैन (शाम 6.09),
वड़ोदरा (शाम 6.21),
कानपुर (शाम 5.44)

(इन दिये गये स्थानों के अतिरिक्तवाले अधिकांश स्थानों में पुण्यकाल का समय लगभग शाम 5.17 से रात्रि 8.42 के बीच समझें।)

ग्रहण के समय ध्यान रखने वाली बातें

(1) ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । जबकि पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।

(2) सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना । यदि गंगा-जल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना फलदायी होता है ।

(3) साधक को चाहिये कि ग्रहण शुरू होते ही स्नान करके गुरु प्रदत्त मंत्र फिर ॐ नमः शिवाय और उसके बाद इच्छित मंत्र सिद्ध करने के लिए सुखासन में बैठ कर या गंगा जी के समीप या गंगाजल में खड़े होकर मानसिक जप करे ।
(4) ग्रहण-काल जप, दीक्षा, मंत्र-साधना (विभिन्न देवों के निमित्त) के लिए उत्तम काल है ।

(5) ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।

(6) ग्रहो के किसी भी प्रकार के दोष या दुष्प्रभाव से बचने के लिए अपने वजन के दसवें हिस्से के बराबर अन्नदान करना चाहिए । किसी भी राशी वालो का आरिस्ट नही होगा ।

(7) ग्रहण समाप्ति के बाद अपने पहने हुए कपड़े के साथ स्नान करें और कपड़े को दान करे ।