
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री शिशिक्षु प्रोत्साहन योजना' के तहत पहले चरण में 35000 युवाओं को निजी संस्थानों में सीखने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही काम सीखने के बाद सरकार निजी संस्थानों में शिशिक्षुओं (इंटर्न) को नौकरी दिलाने के भी प्रयास करेगी। काम सीखने के दौरान शिशिक्षु को 2500 रुपये महीने मानदेय दिया जाएगा। इसमें 1500 रुपये केंद्र व 1000 रुपए राज्य सरकार देगी।
सरकार को शिशिक्षुओं को अपने हिस्से की अप्रेन्टिसशिप 1000 रुपए देने में इस साल 63 करोड़ रुपये खर्च होंगे। व्यवसायिक शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार से 63 करोड़ रुपए मांगे हैं। व्यवसायिक शिक्षा विभाग ने सरकार को 'मुख्यमंत्री शिशिक्षु प्रोत्साहन योजना' का पूरा खाका तैयार कर भेज दिया है।
इसके साथ ही विभाग ने यह भी बताया कि शिशिक्षु अधिनियम के तहत सरकारी, सहकारी, निगम व निजी उद्योग अपने यहां कुल कार्मिकों की संख्या का ढाई से 15 फीसदी तक अप्रेन्टिसशिप के तहत युवाओं को काम सीखने का मौका देते हैं। व्यवसायिक शिक्षा विभाग ने केंद्र सरकार के कौशल विकास मंत्रालय की तर्ज पर ही युवाओं को निजी संस्थानों में प्रशिक्षित कराया जा सकता है।
पांच वर्गों में बांटा
कौशल विकास मंत्रालय ने नेशनल अप्रेन्टिसशिप प्रोमोशन स्कीम में पांच तरीके से शिशिक्षुओं को बांटा है। इंजीनियरिंग में डिग्री लेने वाले स्नातक शिशिक्षु, सैंडविच पाठ्यक्रम शिशिक्षु (डिग्री संस्थाओं के छात्रों के लिए), तकनीकी शिशिक्षु (आईटीआई प्रशिक्षित अभ्यर्थियों के लिए), सैंडविच पाठ्यक्रम शिशिक्षु (डिप्लोमाधारकों के लिए), तकनीकी शिशिक्षु (स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए) हैं। इन वर्गों के लिए केंद्र सरकार के पोर्टल पर निजी संस्थान अपने यहां युवाओं को अप्रेन्टिसशिप पर रखने की जानकारी देते हैं।
Published on:
13 Feb 2020 03:02 pm
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