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Paytm और Bank से ऐसे कराएं अपने आधार को डी लिंक

आप बहुत ही सरल तरीके से अपने आधार को डी-लिंक कर सकते हैं।

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Paytm और Bank से ऐसे कराएं अपने आधार को डी लिंक

लखनऊ. अगर आपने अपने डिजिटल वॉलेट और बैंक से आधार नम्बर को पहले सा ही लिंक करा रखा है तो आपको अपने डेटा की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है। आप बहुत ही सरल तरीके से अपने आधार को डी-लिंक कर सकते हैं जिससे आपको किसी भी प्रकार कोई समस्या नहीं होगी। आपका सारा डेटा पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं।

अगर अब ग्राहक उन संस्थाओं से अपना आधार नंबर हटाना चाहते हैं, तो ऐसा संभव है। यूआईडीएआई के नियमों के मुताबिक, कोई भी ग्राहक अपनी इच्छा के मुताबिक, किसी भी संस्था को दी हुई अपनी बायोमीट्रिक जानकारी डी-लिंक कर सकता है।

बैंक अकाउंट से ऐसे डी-लिंक करें अपना आधार

आप अपने बैंक से आधार नम्बर को पहले से ही लिंक करा लिया है, तो आपको थोड़ा सा समय निकालकर बैंक जाना पड़ेगा क्योंकि आप इसे ऑनलाइन डी-लिंक नहीं करा सकते हैं। इसलिए आप बैंक जाकर कस्टमर केयर से ‘अनलिंक आधार’ का फॉर्म लेना होगा और उसे भरकर बैंक में ही जमा करना होगा। अगले 48 घंटे के अंदर आपके बैंक अकाउंट से आधार डी-लिंक हो जाएगा। आप बैंक को कॉल करके भी इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी ले सकते हैं। बैंक द्वारा आपका पूर्ण सहयोग किया जाएगा।

अपने आधार को Paytm से ऐसे कराएं डीलिंक

अगर आप अपने पेटीएम से आधार नम्बर को लिंक करा रखा हैं, तो कस्टमर केयर नंबर 01204456456 पर कॉल करें और उनसे कहें कि आपको आधार अनलिंक कराने से जुड़ा ईमेल भेजे। इसके बाद आपको पेटीएम का ईमेल मिलेगा, जिसमें आपको आधार की एक सॉफ्ट कॉपी अटैच करने को कहा जाएगा। इसके बाद आपको एक मेल आएगा, जिसमें कहा जाएगा कि आपका आधार अगले 72 घंटे में पेटीएम वॉलेट से डी-लिंक हो जाएगा। आप 3 दिन बाद चेक कर सकते हैं कि आधार आपके पेटीएम से डी-लिंक हुआ है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने किया ऐलान

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ऐलान किया है कि प्राइवेट कंपनियां ग्राहकों से आधार की अनिवार्य रूप से मांग नहीं कर सकती हैं। इसका मतलब नया सिम लेने या बैंक खाता खोलने के लिए आधार नंबर देने की जरूरत नहीं है। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला देश के लोगों के लिए राहत भरा है क्योंकि प्राइवेट कंपनियां, बैंक, टेलीकॉम ऑपरेटर, कोरियर एजेंसियों समेत कई संस्थानों ने ग्राहकों से लीगल डॉक्यूमेंट के रूप में आधार मांगना शुरू कर दिया था।