
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में बायो मेडिकल वेस्ट की बढ़ती मात्रा पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा साबित होने जा रही है। अब तक सरकारों की इस विषय पर स्पष्ट नीति ने होने के कारण इनके खिलाफ आमतौर पर प्रभावी कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही थी। बायो मेडिकल वेस्ट कई बार किसी गंभीर तरह की बीमारी के संक्रमण का भी कारण बन सकने की सम्भावना अपने में समेटे रहे हैं। पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण को लेकर उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा सक्रिय हुआ है। कोर्ट के आदेश के बाद प्रमुख सचिव ने इसकी निगरानी और कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किये हैं।
निगरानी के लिए जांच दल का गठन
बायो मेडिकल वेस्ट की निगरानी और इसे फ़ैलाने वाली मेडिकल यूनिट्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए जांच दल का गठन किया गया है। प्रमुख सचिव के आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त टीम का गठन कर बायो मेडिकल कचरे की निगरानी के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इस टीम में स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर शामिल किये हैं। लखनऊ में टीम पहले चरण में उन हेल्थ और मेडिकल सेंटर्स को चिह्नित करना शुरू किया है जो बायो मेडिकल वेस्ट फैलाने का काम कर रहे हैं प्रदूषण नियंत्रण नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
शुरू हुई कार्रवाई
लखनऊ के सीएमओ डाक्टर जी एस बाजपेई ने बताया कि जांच दल ने जनपद में संचालित चिकित्सालय, नर्सिंग होम, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, एनिमल हॉउस, पैथोलॉजी, लेबोरेट्री व ब्लड बैंकों के निरीक्षण का काम शुरू कर दिया है। लापरवाह केंद्रों को चेतावनी दी जा रही है और नियमों का पालन न करने वाले केंद्रों पर जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत कार्रवाई की जाएगी। सीएमओ ने बताया कि पिछले दिनों दल ने 15 स्थानों पर बायो मेडिकल वेस्ट की स्थिति का परीक्षण किया। इन सभी केंद्रों को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी प्राधिकार पत्र हासिल करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा बायो मेडिकल वेस्ट का नियमानुसार पृथक्कीकरण, संवहन और निस्तारण करने के निर्देश दिए गए। जांच दल ने नियमों और निर्देशों का उल्लंघन करने वाली इकाइयों पर कार्रवाई की चेतावनी दी। एक डायग्नोस्टिक केंद्र पर लापरवाही पाए जाने पर नोटिस जारी किया गया।
Published on:
13 Oct 2017 11:56 am
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