
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण के बाद प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट का प्रावधान है
लखनऊ. योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में तीन साल के लिए सारे श्रम कानून खत्म कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि इससे श्रमिकों का भला होगा और लॉकडाउन के चलते बंद हुए उद्योग-कारखानों में फिर से शुरू हो सकेंगे। वहीं, विपक्षी दलों ने एक सुर से सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का ये कदम ये बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। प्रियंका गांधी ने बदलावों को तुरंत रद्द करने की मांग की वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि शोषणकारी व्यवस्था पुन: देश में लागू करना अति-दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण है। विपक्षी दलों के आरोपों पर भड़के उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि घड़ियाली आंसू बहाने वाले पहले अध्यादेश पढ़ लें।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण के बाद प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट का प्रावधान है। इसके तहत तीन साल के लिए सारे श्रम कानून खत्म कर दिए गए हैं। प्रदेश में 38 श्रम कानून लागू हैं। इन 38 श्रम नियमों में हजार दिवस यानी तीन वर्ष तक के लिए अस्थाई छूट प्रदान की गई है। पर इस अध्यादेश में करार के साथ नौकरी करने वाले लोगों को हटाने, नौकरी के दौरान हादसे का शिकार होने और समय पर वेतन देने जैसे तीन नियमों को सख्ती से पालन किया जाएगा। उत्तर प्रदेश से पहले मध्य प्रदेश में भी कंपनियों को हायर और फायर की मंजूरी देने वाले अध्यादेश को पारित किया गया है।
तुरंत रद्द हों श्रम कानूनों में बदलाव : प्रियंका गांधी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए गए बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि आप मजदूरों की मदद करने के लिए तैयार नहीं हो। आप उनके परिवार को कोई सुरक्षा कवच नहीं दे रहे। अब आप उनके अधिकारों को कुचलने के लिए कानून बना रहे हो। मजदूर देश निर्माता हैं, आपके बंधक नहीं हैं।
अमानवीय और आपत्तिजनक अध्यादेश : अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश के द्वारा मजदूरों को शोषण से बचाने वाले 'श्रम-कानून' के अधिकांश प्रावधानों को तीन वर्ष के लिए स्थगित कर दिया है। ये बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी भाजपा सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।
शोषणकारी व्यवस्था, दुर्भाग्यपूर्ण : मायावती
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश में गरीब, मजदूर, कामगार तथा श्रमिकों की स्थिति बेहद खराब है। यूपी सरकार के श्रम कानून को निलंबित करने असर का श्रमिकों पर पड़ेगा। कोरोना प्रकोप में मजदूरों/श्रमिकों का सबसे ज्यादा बुरा हाल है, फिर भी उनसे आठ के स्थान पर 12 घण्टे काम लेने की शोषणकारी व्यवस्था पुन: देश में लागू करना अति-दु:खद व दुर्भाग्यपूर्ण। उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव देश की रीढ़ श्रमिकों के व्यापक हित में होना चाहिये न कि कभी भी उनके अहित में।
घड़ियाली आंसू बहाने वाले पहले अध्यादेश पढ़ें : स्वामी प्रसाद मौर्य
उत्तर प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि घड़ियाली आंसू बहाने वाले पहले अध्यादेश पढ़ लें, फिर कोई टिप्पणी करें। कहा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी श्रमिकों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं क्योंकि वे उन श्रमिकों का विरोध कर रही हैं, जिनके लिए निवेश के माध्यम से रोजगार तलाशने की प्रक्रिया चल रही है। मौर्य ने कहा कि वे (विपक्ष) उन श्रमिकों का विरोध कर रहे हैं, जिनके लिए हम लॉकडाउन के चलते बंद उद्योग-कारखानों में पुन: समायोजित करने के लिए अवसर प्रदान करने जा रहे हैं। जो श्रमिकों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, उनको शायद नहीं पता कि हमने नए निवेश के रास्ते खोलते वक्त श्रमिकों के हितों का ध्यान रखा गया है।
Published on:
09 May 2020 02:36 pm
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