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UP School Winter: कड़ाके की ठंड में कांपते दस लाख मासूम, स्वेटर-जूते की डीबीटी अटकी

UP Students DBT Delay: उत्तर प्रदेश में कड़ाके की सर्दी के बीच परिषदीय स्कूलों के लगभग 10 लाख बच्चे अब भी यूनिफॉर्म, जूते-मोजे और स्वेटर की डीबीटी राशि से वंचित हैं। अभिभावकों के आधार न बनने, आधार बैंक खाते से लिंक न होने और गलत दस्तावेजों के कारण भुगतान अटक गया है, जिससे बच्चों की ठिठुरन बढ़ गई है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 11, 2025

डीबीटी में अटकी राशि, अभिभावकों की दस्तावेज़ी खामियां बनी सबसे बड़ी बाधा (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

डीबीटी में अटकी राशि, अभिभावकों की दस्तावेज़ी खामियां बनी सबसे बड़ी बाधा (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

UP School Winter Update: उत्तर प्रदेश में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। प्रदेश के कई जिलों में पारा लगातार 6 से 8 डिग्री तक पहुँच गया है। सुबह-सुबह शीतलहर और धुंध के बीच छोटे-छोटे विद्यार्थी जब परिषदीय स्कूलों की राह पकड़ते हैं, तो उनकी कंपकंपी साफ दिखाई देती है।

सरकार ने इस सत्र में भी हर साल की तरह बच्चों को दो यूनिफॉर्म,जूते-मोजे,स्वेटर,बैग,स्टेशनरी के लिए 1200 रुपये की डीबीटी भेजने की घोषणा की थी। परंतु दिसंबर आधा बीत चुका है, ठंड अपनी चरम स्थिति में है, और अब भी प्रदेश के लगभग 10 लाख बच्चों के खाते में यह राशि नहीं पहुँची है। सरकारी आदेश यह है कि कोई भी बच्चा बिना स्वेटर के स्कूल न आए, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ठिठुरन के बीच हजारों बच्चे अभी भी स्वेटर, जूते-सॉक्स और गर्म कपड़ों के बिना स्कूल पहुँच रहे हैं।

क्यों अटकी राशि- विभाग ने खोला डेटा

बेसिक शिक्षा विभाग के मुताबिक डीबीटी में अड़चन बच्चों की वजह से नहीं, बल्कि अभिभावकों के अधूरे दस्तावेजों की वजह से है। यह समस्या प्रदेश भर में सामूहिक रूप से दिखाई दे रही है।

.6.50 लाख अभिभावकों के आधार बैंक से लिंक नहीं

इन अभिभावकों के आधार कार्ड बने हुए हैं, लेकिन वे बैंक खातों से लिंक नहीं हैं। डीबीटी नियमों के अनुसार सरकार किसी भी अभिभावक के गैर-लिंक्ड खाते में राशि नहीं भेज सकती।

.3.50 लाख अभिभावकों के आधार कार्ड ही नहीं हैं

और भी चिंताजनक यह है कि लाखों बच्चों के अभिभावकों ने अभी तक आधार कार्ड ही नहीं बनवाए। इस स्थिति में शिक्षा विभाग इन्हें “अपूर्ण डेटा” मानकर भुगतान रोक देता है।

कुछ हजार मामले-गलत IFSC, निष्क्रिय खाते, गलत नाम

कई परिवार ऐसे हैं, जहाँ पर गलत मोबाइल नंबर,निष्क्रिय बैंक खाते,हस्ताक्षर न मिलने,नाम की स्पेलिंग गलत, पुराना या बंद खाता जैसी समस्याओं के कारण डीबीटी भेजने में कठिनाई आ रही है। इस तरह कुल मिलाकर साढ़े 9 से 10 लाख बच्चों की आर्थिक सहायता ठंड के मौसम में अटक चुकी है। बीआरसी कैंप, लेकिन अभिभावकों की लापरवाही बनी सबसे बड़ी समस्या।

बेसिक शिक्षा विभाग ने स्थिति को समझते हुए प्रदेश भर के सभी बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर) पर ,आधार बनवाने ,आधार लिंक करने, मोबाइल अपडेट,बैंक खाते सत्यापित कराने के लिए विशेष कैंप लगाए हैं। लेकिन बीएसए कार्यालयों की रिपोर्ट कहती है कि अभिभावकों का कैंपों में आना बहुत कम है। कई लोग दस्तावेजों को ‘सरकारी झंझट’ मानकर गंभीर नहीं होते। कुछ परिवारों को आधार कार्ड और बैंक लिंकिंग की प्रक्रिया की जानकारी ही नहीं। कई जिलों के अफसरों ने कहा कि नीतियाँ सरकार ने बना दीं, व्यवस्था भी तैयार है, लेकिन अभिभावक दस्तावेज़ पूरे न करें तो विभाग मजबूर है।

कड़ाके की ठंड में बच्चे काँप रहे, स्कूल चिंतित

लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, गोंडा, उन्नाव, प्रयागराज, बस्ती, अयोध्या, बलिया जैसे जिलों में शिक्षक बताते हैं कि बच्चे सिर्फ एक शर्ट में,बिना स्वेटर,बिना जूते, चप्पलों में ठिठुरते हुए स्कूल आ रहे हैं। एक प्राथमिक स्कूल अध्यापिका ने कहा कि सर्दी इतनी है कि हाथ-पैर सुन्न हो रहे हैं। लेकिन कई बच्चे सिर्फ half-sleeve की यूनिफॉर्म में आ जाते हैं। पूछने पर कहते हैं, मम्मी बोले पैसे अभी नहीं आए। कई स्कूलों ने ऐसे बच्चों को अस्थायी तौर पर दान में मिले स्वेटर,पुराने गर्म कपड़े,शिक्षकों द्वारा खरीदे गए मोजे देकर राहत पहुँचाने की कोशिश की है।

निर्देशक का सख्त आदेश- ‘कोई भी बच्चा बिना स्वेटर के स्कूल न आए’

बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने सभी बीएसए को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं,लंबित डेटा का त्वरित सत्यापन करें। आधार लिंकिंग जल्द पूरी कराए। जिन परिवारों के आधार कार्ड नहीं बने हैं, वहाँ विशेष अभियान चलाए। स्कूलों में यह सुनिश्चित करें कि कोई बच्चा बिना स्वेटर के न आए। शिक्षकों को यह भी कहा गया है कि जरूरत पड़ने पर बच्चों को अस्थायी गर्म कपड़े उपलब्ध कराए। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग की प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा है, न कि सिर्फ कागजी औपचारिकताए।

ग्रामीण इलाकों की स्थिति अधिक गंभीर

जहाँ शहरों में अभिभावक दस्तावेज़ जल्द अपडेट कर लेते हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों में समस्या ज्यादा है। कारण आधार केंद्रों की दूरी,अभिभावकों की व्यस्तता, कई मजदूर परिवार जिनके पास बैंक में समय देने का मौका कम, दस्तावेजों के महत्व की कम समझ,कई परिवार आज भी सोचते हैं कि स्वेटर तो बाद में भी मिल जाएगा, जबकि बच्चे सर्दी से परेशान हैं। कुछ जिलों में प्रधानों और पंचायत सचिवों को निर्देश दिया गया है कि वे व्यक्तिगत रूप से परिवारों से बात कर दस्तावेज़ अपडेट करवाएँ।

अभिभावकों की भी परेशानियां 

अभिभावकों का कहना है कि हम चाहते हैं कि पैसा जल्दी आए, लेकिन आधार अपडेट कराने के लिए लाइनें बहुत लंबी हैं। कई दिन की मजदूरी छूट जाती है। यह भी एक वास्तविक समस्या है जिसे सरकार को समझना होगा। सरकार यदि सप्ताहांत पर कैंप लगाए,पंचायत स्तर पर मोबाइल टीम भेजे तो प्रक्रिया तेज हो सकती है।