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एक और गठबंधन को तैयार अखिलेश यादव, कहा- 2022 में बनाएंगे 2012 जैसी बहुमत वाली सरकार

locationलखनऊPublished: Sep 16, 2019 01:43:17 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

– समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव राजनीतिक दलों से गठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान- कहा, अब समाजवादी पार्टी बड़े दलों के बजाय छोटे दलों से गठबंधन को तरजीह देगी, लेकिन रखी यह शर्त

Akhilesh Yadav

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अब किसी भी चुनाव में समाजवादी पार्टी किसी बड़े दल के साथ कोई समझौता नहीं करेगी

लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी (BSP) से मिले झटके के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राजनीतिक दलों से गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव हम बसपा संग मिलकर लड़े थे, लेकिन उन्होंने (Mayawati) अपना रास्ता बदल लिया। इसके बाद हम अकेले रह गये। अब हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे और 2022 में 2012 जैसी ही बहुमत वाली सरकार बनाएंगे। इस दौरान अखिलेश यादव ने बड़े दलों से सपा के गठबंधन (Political Alliance) की संभावनाओं को नकारते हुए छोटे दलों से गठबंधन की बात कही।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अब किसी भी चुनाव में समाजवादी पार्टी किसी बड़े दल के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। बड़े दलों के साथ पार्टी का अनुभव ठीक नहीं रहा। लेकिन, अगर छोटे दलों के साथ सीटों का समझौता हुआ तो पार्टी को उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ने से गुरेज नहीं है। उन्होंने कहा कि अब समाजवादी पार्टी बड़े दलों के बजाय छोटे दलों से गठबंधन को तरजीह देगी।
सफल नहीं रहा है अखिलेश का गठबंधन फॉर्मूला
अखिलेश यादव की लाख कोशिशों के बावजूद समाजवादी पार्टी का गठबंधन फॉर्मूला फ्लॉप रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी अदावत को भुलाकर बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन करने वाले अखिलेश यादव को न तो अपेक्षित परिणाम मिले और न ही गठबंधन चला। गठबंधन के तहत सपा ने 37 और बसपा को 38 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं आये। सपा 05 सीटों से आगे नहीं बढ़ सकी और बसपा को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई। चुनाव परिणाम के बाद सपा-बसपा गठबंधन भी टूट गया और दोनों दल अलग-अलग उपचुनाव की तैयारियों में जुट गये। इससे पहले भी 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस संग गठबंधन किया था। गठबंधन के तहत सपा ने 298 और कांग्रेस ने 105 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। उस वक्त अखिलेश यादव सपा के और राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। यह भी गठबंधन सफल नहीं रहा। उस चुनाव में समाजवादी पार्टी 47 और कांग्रेस पार्टी महज सात सीटों पर सिमट गई। इसके बाद सपा-कांग्रेस की राहें जुदा हो गईं।
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