
अखिलेश के लिये मुसीबत बना सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला, न विरोध कर पा रहे और न ही समर्थन
लखनऊ. पदोन्नति में आरक्षण का मुद्दा समाजवादी पार्टी के लिये सिरदर्द साबित हो रहा है! यूपी में बसपा से गठबंधन की बात कर रहे अखिलेश यादव परेशान हैं कि क्या करें? अगर वह आरक्षण में प्रमोशन का विरोध करते हैं तो मायावती नाराज हो सकती हैं, लेकिन न करने पर पार्टी के यादव वोटरों के रूठने का डर है। क्योंकि यादव बिरादरी के लोगों ने हमेशा ही प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे वाला फॉर्मूला अपना रही है। सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर न तो चुप रहेगी और न ही रुख ही स्पष्ट करेगी। इसके लिये पार्टी की ओर से सभी प्रवक्ताओं, नेताओं और पैनलिस्ट के लिये दो पन्नों की गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सभी को गोलमोल बोलना है और फिर बोलते-बोलते बीजेपी पर निशाना साधना है। इसके लिये सपा के पार्टी मुख्यालय से कई नेताओं को इसकी गाइडलाइन ई-मेल भी हुई है।
प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से समाजवादी नेता उहापोह की स्थिति में हैं। क्योंकि वर्ष 2013 में जब सूबे में अखिलेश यादव की सरकार थी, तब ही प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा खत्म हुई थी। शुरू से ही सपा के कोर वोटर कहे जाने वाले यादव समुदाय के लोग शुरू से प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ रहे हैं। बात करें बहुजन समाज पार्टी की तो उनकी पार्टी हमेशा ही इस मुद्दे पर मुखर रही है। मायावती हमेशा से ही एससी और एसटी वर्ग के लिये पदोन्नति में आरक्षण की समर्थक रही हैं। ऐसे में अखिलेश यादव न तो इस मुद्दे का विरोध कर पा रहे हैं और न ही समर्थन।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सर्वोच्च न्यायालय ने पदोन्नति में आरक्षण का मामला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें चाहें तो वे प्रमोशन में आरक्षण दे सकती हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की यह अर्जी खारिज कर दी कि एससी-एसटी को आरक्षण दिए जाने में उनकी कुल आबादी पर विचार किया जाए।
Published on:
28 Sept 2018 07:55 pm
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