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कुमार विश्वास बोले- नाव के बदले देना पड़ा मंत्री पद, कबि की टिप्पणी के बाद छिड़ गई नई बहस

कुमार विश्वास ने मंच से ऐसा क्या कह दिया कि योगी सरकार के मंत्री पर नई बहस छिड़ गई। आइये जानते हैं। कवि ने काव्य पाठ के दौरान किस बात को लेकर ऐसा कहा?

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लखनऊ

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Mahendra Tiwari

Dec 29, 2025

डॉ कुमार विश्वास फोटो सोर्स @DrKumarVishvas X account

डॉ कुमार विश्वास फोटो सोर्स @DrKumarVishvas X account

कवि कुमार विश्वास ने हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री संजय निषाद को लेकर एक तीखी लेकिन व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। यह बयान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर स्मृति ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया। मंच पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री मौजूद थे। कुमार विश्वास की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा में आ गई है।

कार्यक्रम के दौरान कुमार विश्वास ने निषाद समाज और रामायण का उल्लेख करते हुए संजय निषाद की सत्ता में भूमिका पर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि संजय निषाद जब भी उनसे मिलते हैं। तो हाथ मिलाने आते हैं। लेकिन वे मजाक में कहते हैं कि उनसे हाथ नहीं मिला सकते क्योंकि वे “राम जी के मित्र” के घर से आते हैं। विश्वास ने खुद को राम के चरणों की धूल का सेवक बताते हुए अपनी बात रखी।

निषाद राज ने राम को गंगा पार कराई थी

कुमार विश्वास ने आगे कहा कि रामायण में जिस तरह निषादराज ने राम को गंगा पार कराई थी। उसी संदर्भ में उन्होंने वर्तमान राजनीति से तुलना की। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि पहले तो नाव पार कराने की फीस ली गई थी। लेकिन अब शायद फीस इतनी बड़ी हो गई कि एक व्यक्ति को मंत्री बनना पड़ा। इस टिप्पणी को सत्ता में भागीदारी और राजनीतिक सौदेबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है।

वीडियो में हंस दिए थे। अच्छा नहीं लगा

कम हंसा करो वीडियो में हंस दिया अच्छा नहीं लगा कुमार विश्वास की यह प्रतिक्रिया संजय निषाद के उस हालिया वीडियो के संदर्भ में मानी जा रही है। जिसमें उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े एक विवादित मामले पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उसी वीडियो को लेकर कुमार विश्वास ने मंच से कहा कि “कम हंसा करो, वीडियो में हंस दिए थे। अच्छा नहीं लगा।

कुमार विश्वास की टिप्पणी राजनीतिक संदेश के तौर पर देखी जा रही

उन्होंने यह भी कहा कि अगर राम की सरकार में निषाद समाज का प्रतिनिधि सत्ता में है। और अपने हक की बात कर रहा है। तो इसमें आपत्ति की क्या बात है। हालांकि, उन्होंने पूरे बयान में हास्य और कटाक्ष के जरिए अपनी बात कही, जिसे राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। कुमार विश्वास का यह बयान एक बार फिर दिखाता है कि वे साहित्य, धर्म और राजनीति को जोड़कर अपनी बात रखने में माहिर हैं, और उनके शब्द अक्सर सियासी बहस को नया मोड़ दे देते हैं।