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यूपी में इन जातियों का रहा है पुराना विवाद, अब और बढ़ सकती है दिक्कत!

सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गो की तरह अब इन जातियों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

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Nitin Srivastva

Dec 22, 2016

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी चुनाव से पहले बड़ा चुनावी दांव खेला है। कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश सरकार ने 17 पिछड़ी जातियां को अनुसूचित जातियों में शामिल करने का प्रस्‍ताव पास किया है। अखिलेश सरकार इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। बुधवार को भी सीएम अखिलेश यादव ने कई घोषणाएं की थीं। राज्य कर्मियों की तरह सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों, स्वायत्तशासी संस्थाओं व निगमों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों के मामले में पति-पत्नी दोनों को मकान किराया भत्ता देने की घोषणा हुई। सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गो की तरह अब भुर्तिया जाति को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।

अखिलेश का मास्टरस्ट्रोक
यूपी चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में अहीर, यादव, यदुवंशी, ग्वाला के साथ भुर्तिया जाति को भी जोड़ने का फैसला किया है। सीएम अखिलेश ने कहा कि 17 पिछड़ी जातियों को SC में शामिल किये जाने का प्रस्‍ताव कैबिनेट पास कर दिया है। जिसको केंद्र की मोदी सरकार के पास भेज दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि सपा सरकार ने विकास का काम किया है। काम में समाजवादियों का कोई मुकाबला नहीं है। अखिलेश यादव ने मायावती पर हमला बोलते हुए कहा कि लोगों ने पत्थरों के हाथी लगवा दिए। वो हाथी खड़े के खड़े हैं, लेकिन हमने जो साइकिल ट्रैक बनवाया है वो हमेशा चलता रहेगा। उन्होंने कहा है कि काम के मामले में हमारा कोई मुकाबला नहीं कर सकता। अब बस सबको जोड़कर इस पर वोट लेना है।

रहा है पुराना विवाद
गौरतलब है कि यूपी की तमाम पिछड़ी जातियों की तरफ से ऐसी मांग आती रही है। हालांकि, इसको लेकर विवाद भी रहा है, क्योंकि जो जातियां पहले से अनुसूचित जाति के दायरे में उन्हें इससे दिक्कत महसूस होती है। यह इसलिए कि 17 नई जातियों के शामिल होने से अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाला कोटा अब ज्यादा जातियों में बंट जाएगा। अखिलेश का ये कदम यूपी चुनाव में जातिगत समीकरणों को साधने के तौर पर देखा जा रहा है। अखिलेश इस पहले कह चुके हैं कि उनकी पार्टी जातिगत समीकरणों पर नहीं बल्कि पिछले पांच साल के कामकाज और नोटबंदी से लोगों को हुई परेशानियों के मुद्दे पर जनता के बीच जाएगी। आपको बता दें कि 2017 में यूपी की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी, मुख्य विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच है। प्रदेश में लगातार रैलियों का दौरा जारी है और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़े जा रहे हैं।

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