16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एकेटीयू मामला हुआ पेचीदा, बचाव में उतरा यूनिवर्सिटी प्रशासन तो विधायक ने साधी चु्प्पी

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक विवादों में घिरते नजर जा रहे हैं।

3 min read
Google source verification
jjj

एकेटीयू मामला हुआ पेचीदा, बचाव में उतरा यूनिवर्सिटी प्रशासन तो विधायक ने साधी चु्प्पी

लखनऊ. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक विवादों से लगातार घिरते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोप के जवाब में उन्होंने बीजेपी विधायक के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी विधायक का पत्र वायरल होने के बाद कुलपति ने विधायक के एक पत्र को सार्वजनिक किया है जिसमें दो कर्मचारियों को जेई के पदों पर पदोन्नति करने की सिफारिश है। वहीं दूसरी तरफ एक समाचार चैनल ने वीसी की नियुक्ति पर भी सवाल उठा दिए हैं। चैनल के मुताबिक वीसी विनय पाठक फर्जी बायोडाटा बनाकर पहली बार वीसी बने थे। वीसी ने बताया ये मामला अभी कोर्ट में चल रहा है और उन्होंने एफिडेविट जमा कर दिया है।

कुलपति का दावा

एकेटीयू के कुलपति विनय पाठक का दावा है कि सिफारिश पूरी न होने पर विधायक ने उन पर फर्जी आरोप लगाकर राज्यपाल को पत्र लिखा है। भाजपा विधायक शशांक त्रिवेदी के लेटर पैड लिखित एक पत्र शुक्रवार को वायरल हुआ था ये। पत्र राज्यपाल को लिखा गया था। जिसमें कहा गया था कि इंजीनियरिंग संस्थानों को योजना के तहत दिए जाने वाले 200 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। ऐसे में मामले को गंभीरता से लेते जांच करवाकर इस पर कार्रवाई की जाएगी।इसके बाद शनिवार को कुलपति की तरफ से एक पत्र जारी किया गया। कुलपति प्रो. विनय पाठक ने बताया कि 26 फरवरी 2018 को शशांक त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री को लिखा था। जिसमें एकेटीयू में क्लर्क के पद पर कार्यरत पीके मिश्रा व धीरज को पदोन्न्ति कर जेई के पद पर तैनात करने की सिफारिश की गई थी। जिसके बाद यह पत्र एकेटीयू को रिमार्क कर दिया गया था।

कर्मचारी से विवाद के चलते फंसे वीसी!

कुलपति विनय पाठक के मुताबिक चूंकि जेई का पद विवि में नहीं है ऐसे में एक्जिक्यूटिव काउंसलि की बैठक में पद की स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया था जो कि अभी तक वापस नहीं आया है। कुलपति का आरोप है कि विधायक शशांक त्रिवेदी की सिफारिश पूरी न होने पर उन्होंने झूठा पत्र लिखा है। कुलपति ने बताया कि पत्र में निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को बजट आवंटित करने का जिक्र है। जबकि यह पूरी तरह से गलत है। कुलपति के मुताबिक योजना के तहत जो 200 करोड़ का बजट मिला है, वह सरकारी संस्थानों के लिए है। ऐसे में निजी कॉलेजों का जिक्र होना ही स्पष्ट करता है आरोप गलत हैं।

यूनिवर्सिटी की ओर से 200 करोड़ का दिया ब्यौरा

पत्र में जिस दो सौ करोड़ के घोटाले की बात हो रही थी उसका ब्यौरा एकेटीयू की ओर से दिया गया है। कुलपति ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अक्तूबर 2017 में इस बजट का आवंटन किया था। इसमें कुल 16 सरकारी संस्थानों को बजट देना था। इस बजट के जरिए संस्थानों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों की कमी समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। इसमें सबसे अधिक आईईटी को 25 करोड़ का बजट मिला है। जबकि केएनआईटी सुलतानपुर, सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज, एमएमयूटी गोरखपुर, एचबीटीयू कानपुर व वीआईईटी झांसी को 15-15 करोड़ रुपए दिए जाने हैं। इसके अलावा, यूपीटीटीआई कानपुर, फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर लखनऊ, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बांदा, बिजनौर, आजमगढ़, अंबेडकर नगर, कन्नौज, मैनपुरी, सोनभद्र व इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन नोएडा को दस-दस करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं।

अब विधायक के जवाब का इंतजार

जिस विधायक के नाम से पत्र वायरल हो रहा है उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक वे प्रदेश से बाहर गए हुए हैं। वीसी विनय पाठक के मुताबिक 200 करोड़ की योजना सरकारी संस्थानों के लिए हैं। जबकि पत्र में निजी संस्थानों की बात कही गई है। मुझे लगता है कि विधायक के लेटरपैड का गलत उपयोग हुआ है। जल्द ही विधायक से मिलकर मामले में उचित निष्कर्ष निकालेंगे।