यूपी के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक का पाठ्यक्रम होगा एक समान, छात्रों को मिलेगा बेहतर अवसर
- सिर्फ 30 प्रतिशत कोर्स विवि अपने हिसाब से कर सकेंगे डिजायन
- सभी विषयों का पहला पाठ अनिवार्य रूप से ज्ञान परंपरा के आधार पर होगा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में स्नातक के सभी विषयों का पहला पाठ अब अनिवार्य रूप से ज्ञान परंपरा के आधार पर होगा। प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में विद्यार्थियों को संबंधित विषय में भारतीय शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों का योगदान भी बताया जाएगा। वह इसके माध्यम से संबंधित विषय के इतिहास की जानकारी भी दी जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों में 70 फीसद पाठ्यक्रम समान पढ़ाया जाएगा, जबकि 30 प्रतिशत सिलेबस विश्वविद्यालय स्तर पर तय होगा। यानि सिर्फ 30 प्रतिशत कोर्स विवि अपने हिसाब से डिजायन कर सकेंगे। इसे नए शैक्षिक सत्र वर्ष 2021-22 से लागू किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के तहत योगी सरकार द्वारा विद्यार्थियों को पढ़ाई के बेहतर विकल्प देने पर जोर दिया जा रहा है। इसी के तहत अब शामिल हो रहे पहले पाठ को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों से सुझाव भी मांगे जा चुके हैं। बदलाव के तहत गैर प्रयोगिक विषयों में भी व्यवहारिक ज्ञान और प्रैक्टिकल जोड़ा गया है।
इसके साथ ही भाषाओं के पाठ्यक्रम में अनुवाद, रूपांतरण, स्क्रिप्ट राइटिंग और लैंग्वेज लैब आदि को जोड़ा गया है। वहीं स्नातक स्तर से ही शोध को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं। स्नातक प्रथम वर्ष में सभी विषयों में रिसर्च ओरिएंटेशन और स्नातक तृतीय वर्ष में रिसर्च प्रोजेक्ट को जोड़ा गया है। भाषा से संबंधित शोध को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए बेहतर अवसर दिए जाएंगे।
अब पाइए अपने शहर ( Lucknow News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज