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शरारत की नीयत से अगर पीआईएल दायर किया तो देना पड़ेगा हर्जाना, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

- पीआईएल आजकल फैशन बन गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐसी एक पीआईएल पर अपनी नाराजगी जताते हुए याची पर पांच लाख रुपए हर्जाना लगा दिया। और सख्ती के साथ कहा हर्जाना जमा न करने पर भू राजस्व से वसूली की जाए।

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शरारत की नीयत से अगर पीआईएल दायर किया तो देना पड़ेगा हर्जाना, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

शरारत की नीयत से अगर पीआईएल दायर किया तो देना पड़ेगा हर्जाना, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

लखनऊ. कुछ व्यक्ति अपने हित को साधने के लिए आजकल जनहित याचिका का दुरूपयोग करने लगे हैं। ऐसी एक पीआईएल दाखिल करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बेहद सख्ती के साथ याचिका खारिज कर दी और शरारत पूर्व पीआईएल दायर करने के लिए याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। हाईकोर्ट ने कहाकि याचिकाकर्ता ने हमारा समय बर्बाद किया है। साथ ही यह भी निर्देश जारी किया है कि, याची 3 माह में हर्जाना जमा करे। अगर वह समय में हर्जाना जमा नहीं करता है तो इसकी वसूली भू राजस्व की तरह की जाएगी।

जमीन मामले में दायर की पीआईएल :- न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश अजय सिंह की याचिका पर दिया। अजय सिंह ने गोंडा जिले के मनकापुर तहसील के कुछ भूखंडों के राजस्व रिकार्ड में कथित फर्जीवाड़े की जांच के लिए राज्य स्तरीय समिति बनाने के निर्देश राज्य सरकार को देने की गुजारिश की गई थी।

पीआईएल का जमकर विरोध :- इस पीआईएल का विरोध करते हुए निजी पक्षकार के अधिवक्ता ने याची के खिलाफ 29 केसों के आपराधिक इतिहास पेश किया। साथ ही यह दलील दी कि, उक्त जमीन के संबंध में पहले एक अन्य व्यक्ति ने याचिका दायर की थी। वह भी हाईकोर्ट से खारिज हो गई थी। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लंबित है। वकील कोर्ट में साक्ष्य पेश करते हुए कहाकि, याची खुद ही एक जमीन हथियाने वाला व्यक्ति है।

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