Primary Schools to Become Anganwadi Centres in UP: उत्तर प्रदेश सरकार ने खाली पड़े 10,827 प्राइमरी स्कूल भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। दो माह में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इससे न केवल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि बच्चों और महिलाओं को बेहतर पोषण, शिक्षा और देखभाल की सुविधाएं भी मिलेंगी।
Anganwadi Centers Primary Schools Reuse : उत्तर प्रदेश सरकार ने खाली हुए प्राइमरी स्कूल भवनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य सरकार द्वारा जारी नए आदेश के अनुसार, पेयरिंग व्यवस्था के तहत खाली हुए 10,827 प्राइमरी स्कूल भवनों में अब आंगनबाड़ी केंद्र स्थानांतरित किए जाएंगे। यह कार्य दो माह की निश्चित समय सीमा में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। सरकार के इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य खाली पड़े सरकारी संसाधनों का अधिकतम और प्रभावी उपयोग करना है, जिससे बच्चों और माताओं को बेहतर सुविधाएं प्राप्त हो सकें। इस फैसले से आंगनबाड़ी केंद्रों की अवस्थापना सुविधाओं में सुधार की उम्मीद की जा रही है, जो कि अब तक कई बार किराए के भवनों, अस्थायी ढांचों या सीमित संसाधनों में संचालित होते रहे हैं।
राज्य सरकार ने जुलाई के पहले सप्ताह में कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को समीपस्थ विद्यालयों के साथ पेयरिंग कर दिया था। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप प्रदेश के 75 जिलों में 10,827 प्राइमरी स्कूल भवन खाली हो गए हैं। स्कूल शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने इन खाली भवनों की सूची बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को भेज दी है। इसके आधार पर विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि इन स्कूल भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को शिफ्ट करने की पूरी कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वयन किया जाए।
सरकार द्वारा तय किया गया है कि पूरी प्रक्रिया 60 दिनों (दो माह) में पूरी हो जाएगी। इसके लिए चरणबद्ध कार्य योजना तैयार की गई है:
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी हेतु हर जिले में सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। इसमें शामिल होंगे:
इस कदम से कई स्तरों पर सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद है:
हालांकि योजना प्रभावशाली है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। कुछ स्कूल भवन बहुत पुराने और जर्जर हो सकते हैं, जिन्हें मरम्मत में समय और पैसा लगेगा। प्रशासनिक तालमेल में देरी से समय सीमा प्रभावित हो सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर सामुदायिक विरोध भी संभव है, खासकर जहां पहले से अच्छी व्यवस्था है।
सरकार की यह योजना संसाधनों के दोबारा उपयोग और बच्चों की बेहतरी की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यदि सभी स्तरों पर समयबद्ध, पारदर्शी और जनहित में निर्णय लिए गए, तो यह योजना प्रदेश के लाखों बच्चों और परिवारों के लिए वरदान साबित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि भव्य योजनाओं से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर यह प्रयास कितनी सफलता हासिल करता है। लेकिन शुरुआत मजबूत है, और अगर निष्पादन वैसा ही हुआ, तो यह बाल विकास और शिक्षा सुधार का नया मील का पत्थर बन सकता है।