
विद्यालयों में विषयों की अनदेखी कर, दिए गए तबादले फोटो सोर्स : Social Media
Teacher Transfer Policy 2025: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में शिक्षकों के हालिया अंतर्जनपदीय स्थानांतरण और समायोजन की प्रक्रिया में बड़ी खामियां सामने आई हैं। खासतौर पर उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों का तबादला विषयों की अनदेखी करते हुए कर दिया गया है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। इसको लेकर प्रदेशभर के शिक्षक आक्रोशित हैं और उन्होंने अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा दीपक कुमार को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है।
शिक्षकों का कहना है कि हालिया अंतर्जनपदीय स्थानांतरण प्रक्रिया में विषयवार शिक्षकों की आवश्यकता और उपलब्धता का कोई ख्याल नहीं रखा गया। उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आरटीई (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) 2009 के मानकों के तहत 100 छात्रों तक के विद्यालयों में न्यूनतम तीन विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की आवश्यकता होती है। इनमें गणित/विज्ञान, भाषा और सामाजिक विषयों के शिक्षक अनिवार्य हैं। लेकिन इन आवश्यकताओं की पूरी तरह अनदेखी करते हुए शिक्षकों को मनमाने ढंग से इधर-उधर भेज दिया गया है।
शिक्षकों के अनुसार कई उच्च प्राथमिक विद्यालयों को "एकल शिक्षक विद्यालय" बना दिया गया है, जहां सिर्फ एक शिक्षक तैनात है। यह न केवल आरटीई मानकों का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास और गुणवत्ता शिक्षा के सिद्धांतों के भी खिलाफ है। प्राथमिक विद्यालयों के संदर्भ में भी ऐसी ही लापरवाहियाँ देखने को मिलीं हैं। आरटीई के अनुसार 0-60 छात्र संख्या वाले स्कूलों में कम से कम दो स्थायी शिक्षकों की आवश्यकता होती है, लेकिन कई विद्यालयों में अब एकमात्र शिक्षक ही काम कर रहा है।
स्थानांतरण से पहले यह अपेक्षित था कि विभाग द्वारा विषयवार रिक्तियों की सूची और अतिरिक्त (सरप्लस) शिक्षकों की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी, जिससे स्थानांतरण की प्रक्रिया पारदर्शी और आवश्यकतानुसार हो सके। परंतु न तो ऐसी कोई सूची प्रकाशित की गई, न ही इस पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण दिया गया। इस कारण एक तरफ कुछ विद्यालयों में विषय विशेषज्ञों की अधिकता हो गई है, जबकि कई अन्य स्कूलों में विषय अध्यापक न होने से पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो गई है।
शिक्षक संगठनों ने इसे बच्चों के शैक्षणिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ बताते हुए तत्काल प्रभाव से इन तबादलों की समीक्षा करने और आवश्यकतानुसार समायोजन की मांग की है। शिक्षकों द्वारा अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि "यदि समय रहते उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विषयवार शिक्षक उपलब्ध नहीं कराए गए तो न केवल आरटीई का उल्लंघन होगा, बल्कि हजारों बच्चों की शिक्षा व्यवस्था भी पटरी से उतर जाएगी।" शिक्षकों ने मांग की है कि विषय विशेषज्ञों का आंकलन कर, प्रत्येक विद्यालय में अनिवार्य विषयों के अनुरूप शिक्षक तैनात किए जाएँ।
विशेषज्ञों का कहना है कि पहले से ही सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक चुनौती रही है। इस प्रकार की मनमानी तबादला नीति न केवल शिक्षकों के मनोबल को गिराती है, बल्कि छात्रों की शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। बिना विषय ज्ञान के अध्यापक अगर किसी अन्य विषय को पढ़ाएंगे, तो उसका सीधा असर परीक्षा परिणामों और छात्रों की समझ पर पड़ेगा।
"गणित की जगह सामाजिक विज्ञान का कार्य सौंपा गया"सीतापुर जनपद की एक शिक्षिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,“मैं गणित विषय की प्रशिक्षित अध्यापिका हूँ, लेकिन स्थानांतरण के बाद मुझे एक ऐसे विद्यालय में भेजा गया है जहां पहले से दो गणित शिक्षक हैं और सामाजिक विज्ञान शिक्षक की जगह खाली है। विभाग ने न मेरी योग्यता देखी और न विद्यालय की जरूरत।” ऐसे ही कई उदाहरण सामने आए हैं जिनसे यह स्पष्ट है कि तबादलों में कोई सुनियोजित रणनीति नहीं अपनाई गई।
इस तालिका से स्पष्ट है कि वर्तमान तबादला नीति न केवल इन मानकों से भटक गई है, बल्कि कानूनी और शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी प्रश्नों के घेरे में है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार स्थानांतरण प्रक्रिया सॉफ्टवेयर आधारित थी, और कुछ तकनीकी कारणों से विषयों की जानकारी ठीक से अपडेट नहीं हो सकी। हालांकि अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
अब जब शिक्षक संगठनों और मीडिया के माध्यम से यह मामला उजागर हो चुका है, प्रशासन के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह:
शिक्षा व्यवस्था किसी भी राज्य की रीढ़ होती है। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में जहां लाखों बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, वहां विषय विहीन या एकल शिक्षक विद्यालयों की कल्पना भी चिंताजनक है। आवश्यक है कि प्रशासन शिक्षकों की उचित तैनाती कर आरटीई कानून के मानकों का पालन सुनिश्चित करें, ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।
Published on:
14 Jul 2025 01:35 pm
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