ये भी पढ़ें- यूपी में 120 नई गौशाला खोलने की तैयारियां, गौसेवकों की भी होगी नियुक्ति, जिलाधिकारियों से मांगा गया प्रस्ताव सरकार ने उल्लंघन करते हुए बढ़ाया बोर्ड का कार्यकाल-
जिलानी ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन स्वीकार करने के मामला पर कहा कि बोर्ड के दो सदस्यों ने इसे अस्वीकार किया था, जबकि चार ने स्वीकार किया था। इसमें इसके अध्यक्ष जुफर फारूकी भी शामिल थे। इस कारण यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद की मूल जमीन से दूर सरकार की जमीन की पेशकश को स्वीकार कर लिया।
जिलानी ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा जमीन स्वीकार करने के मामला पर कहा कि बोर्ड के दो सदस्यों ने इसे अस्वीकार किया था, जबकि चार ने स्वीकार किया था। इसमें इसके अध्यक्ष जुफर फारूकी भी शामिल थे। इस कारण यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद की मूल जमीन से दूर सरकार की जमीन की पेशकश को स्वीकार कर लिया।
ये भी पढ़ेंं- RPL योजना का लाभ उठाइए, मिलेगा स्किल प्रमाण पत्र, सरकारी नौकरियों के लिए होगा मान्य सरकार ने वक्फ कानून का उल्लंघन करते हुए बढ़ाया बोर्ड का कार्यकाल- यह भी कहा कि बोर्ड के मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल 31 मार्च, 2020 को समाप्त हो गया था और वक्फ कानून के मुताबिक नए बोर्ड का गठन किया जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि सरकार ने वक्फ कानूनों का उल्लंघन करते हुए बोर्ड के कार्यकाल को छह महीने के लिए दो दफा बढ़ा दिया। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि मस्जिद के नाम पर कुछ इमारतें बाबरी मस्जिद के बदले में दी गई जमीन पर बनाई जाए, क्योंकि यूपी में सत्ताधारी राजनीतिक दल को इस बात का यकीन नहीं था कि नया बोर्ड इस मुद्दे पर सरकार की नीति पर किसी तरह की सहमति देंगे।