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लखनऊ

Ayodhya: जिस राह से गुजरे श्रीराम, यूपी सहित तीन अन्य राज्यों में भी चल रहा श्रीराम वन गमन पथ पर काम

Ayodhya: उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी Ram Van Gaman Path Marg पर काम चल रहा है

लखनऊAug 06, 2020 / 08:03 pm

Hariom Dwivedi

Ayodhya: जिस राह से गुजरे श्रीराम, यूपी सहित तीन अन्य राज्यों में भी चल रहा श्रीराम वन गमन पथ पर काम

Ayodhya: जिस राह से गुजरे श्रीराम, यूपी सहित तीन अन्य राज्यों में भी चल रहा श्रीराम वन गमन पथ पर काम

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
महेंद्र प्रताप सिंह
अयोध्या. भगवान श्रीराम (Shri Ram) 14 वर्ष के वनवास काल में जिन रास्तों से गुजरे उसे पौराणिक ग्रंथों में राम वन गमन पथ (Ram Van Gaman Path Marg) के रूप जिक्र है। इस यात्रा काल में वह कई ऋषि-मुनियों से मिले और कई जगह तपस्या की। माना जाता है कि अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 साल की यात्रा में श्रीराम ने करीब 10 किमी का सफर तय किया। इस बीच लगभग 248 ऐसे प्रमुख स्थल थे जहां उन्होंने या तो विश्राम किया या फिर उनसे उनका कोई रिश्ता जुड़ा। आज यह स्थान धार्मिक रूप में राम की वन यात्रा के रूप में याद किए जाते हैं। 2015 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने रामायण सर्किट विकसित करने का एलान किया था। राम से जुड़े जिन ऐतिहासिक स्थलों की पहचान की गयी उनमें यूपी में 5, मप्र में 3, छत्तीसगढ़ में दो, महराष्ट्र में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, केरल में एक,कर्नाटक में एक,तमिलनाडु में दो और एक स्थल श्रीलंका में है। इस तरह ऐतिहासिक महत्व के कुल 21 धार्मिक चिन्हित किए गए हैं। इनमें से कुल 20 स्थलों को ऐतिहासिक रामवनगमन मार्ग से जोड़ने की योजना है। हर राज्य अपने हिसाब से भी इन पवित्र स्थलों को विकसित कर रहे हैं। मप्र और छत्तीसगढ़ में भी रामवनगमन पथ पर काम चल रहा है।
यूपी में वनगमन स्थल
1.तमसा नदी: अयोध्या से 20 किमी दूर महादेवा घाट से दराबगंज तक वन-गमन यात्रा का 35 किलोमीटर। पहला पड़ाव रामचौरा यहां राम ने रात्रि विश्राम किया था। यूपी सरकार ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है।
2.शृगवेरपुर (सिंगरौर): गोमती नदी पार कर प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किमी श्रृंगवेरपुर। निषादराज गुह का राज्य। श्रृंगवेरपुर को अब सिंगरौर कहते हैं।
3.कुरई: इलाहाबाद सिंगरौर के निकट गंगा उस पार कुरई नामक स्थान है। यहां एक मंदिर है जिसमें राम, लक्ष्मण और सीताजी ने कुछ देर विश्राम किया।
4.प्रयाग: कुरई से आगे राम प्रयाग पहुंचे थे। संगम के समीप यमुना नदी पार कर यहां से चित्रकूट पहुंचे। यहां वाल्मीकि आश्रम, मांडव्य आश्रम, भरतकूप आदि हैं।
5.चित्रकूट: चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण हैं। यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे। यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे। यहां राम साढ़े ग्यारह साल रहे। इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गये।
मप्र में वनगमन स्थल
1.चित्रकूट: चित्रकूट का स्थल काफी विस्तृत था। भगवान राम आज के मप्र के चित्रकूट के कई हिस्सों में भी रुके।
2.सतना: सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था। यहां ‘रामवन’ नामक स्थान पर श्रीराम रुके थे। यहीं अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूइया ने सीता जी को दिव्य वस्त्र प्रदान किए थे।
3.शहडोल (अमरकंटक): जबलपुर, शहडोल होते हुए राम अमरकंटक) गए। सरगुजा में सीता कुंड है।
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छत्तीसगढ़ में रामवनगमन मार्ग
1.उत्तर क्षेत्र से श्रीराम का प्रथम आगमन छत्तीसगढ के सरगुजा के कोरिया जिला के सीतामढ़ी हरचौका में हुआ था।
2.रायपुर से 27 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर के पास से भी राम वन गमन परिपथ विकसित होगा। यहां दुनिया का एक मात्र कौशल्या माता मंदिर है, इसमें भगवान राम बाल रुप में मां की गोद में दिखाए गए हैं।

महाराष्ट्र में तीन स्थलों से गुजरेगा पथ
1.पंचवटी, नासिक में श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यहां लक्ष्मण व सीता सहित श्रीरामजी ने वनवास का कुछ समय बिताया। यह गोदावरी के उद्गम स्थान त्र्यंम्बकेश्वर लगभग 32 किमी दूर है।
2.सर्वतीर्थ:नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड़ गांव में रावण ने सीता का हरण करके ले जा रहे जटायु का वध किया था।
3. मृगव्याधेश्वरम में श्रीराम का बनाया हुआ एक मंदिर खंडहर रूप में विद्यमान है। मारीच का वध पंचवटी के निकट ही मृगव्याधेश्वर में हुआ था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मैत्री भी यहीं हुई थी।
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आंध्र प्रदेश के दो स्थल जुड़ेंगे पथ से
1.भद्राचलम: आंध्रप्रदेश में गोदावरी के तट पर भद्राचलम शहर में सीता-रामचंद्र का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। वनवास के दौरान कुछ दिन राम इस भद्रगिरि पर्वत पर बिताए थे।
2.खम्माम जिले के भद्राचलम में पर्णशाला स्थित है। इसे पनशाला या पनसालाज भी कहते हैं। यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। यहां से सीताजी का हरण हुआ था। यहीं रावण ने अपना विमान उतारा था। इसी स्थल से रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था।
1.केरल में शबरी का आश्रम पम्पा सरोवर
तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्मण सीता की खोज में शबरी के आश्रम पम्पा सरोवर पहंचे। यहीं शबरी आश्रम था। यह केरल में पम्पा नदी के किनारे है।
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1.कर्नाटक में ऋष्यमूक पर्वत पर हनुमान से भेंट
मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए राम-लक्ष्मण ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। यहां तुंगभद्रा नदी (पम्पा) धनुष के आकार में बहती है।
1.तमिलनाडु के कोडीकरई में राम की सेना का गठन
हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने अपनी सेना का गठन किया। समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित कोडीकरई में श्रीराम ने अपनी सेना को एकत्रित कर रण जीतने की नीति बनायी।
2.रामेश्वरम से पार किया राम की सेना ने समुद्र: रामेश्वरम समुद्र तट पर श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की पूजा की थी। यही धनुषकोडी नामक स्थान है जहां नल और नील की मदद से श्रीलंका तक पुल बनाया गया।
श्रीलंका की नुवारा एलिया पर्वत शृंखला के पास उतरी सेना
श्रीलंका के मध्य में नुवारा एलिया की पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ रावण की सोने की लंका थी।
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