
अब बबलू श्रीवास्तव की चर्चा प्रयागराज में आभूषण करोबारी पंकज महिंद्रा के अपहरण के केस की वजह से हो रही है। वह 25 साल से बरेली जेल में बंद है। डॉन बबलू श्रीवास्तव यूपी के गाजीपुर का रहने वाला है। पुणे में कस्टम विभाग के अफसर एलडी अरोड़ा की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। बबलू के पिता पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रिंसिपल थे, वहीं बड़े भाई सेना में कर्नल बबलू भी वकील बनना चाहता था, लेकिन परिस्थितियों ने उसे अपराध का रास्ता पकड़ने के लिए बाध्य कर दिया। बचपन के दिनों में वह बेहद शांति प्रवृति का था।
लखनऊ यूनिवर्सिटी में छात्रों के दो गुटों में चाकूबाजी हो गई। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच गई। दोनों गुट के छात्र भाग गए। बबलू श्रीवास्वत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जैसे ही बबलू जेल से बाहर आया पुलिस ने इसे जेल भेज दिया। इसके बाद बबलू शराफत का रास्ता छोड़ अपराध का रास्ता पकड़ लिया। ठान लिया कि अब उसका लक्ष्य टॉप का वकील बनना नहीं, टॉप का अपराधी बनना है।
बबलू श्रीवास्तव बना दाऊद का करीबी
बबलू श्रीवास्वत दाऊद इब्राहिम के संपर्क में आया। उसका बहुत करीबी हो गया। जब दाऊद ने मुंबई ब्लास्ट की योजना बनाई तो बबलू ने विरोध किया। इसके बाद दाऊद पीछे नहीं हटा तो बबलू ने उसे अंजाम भुगतने की धमकी दी। उसने अपना रास्ता अलग कर लिया। उसकी धमकी के चलते ही दाऊद को भी भारत छोड़ कर पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी। बबलू को भी कई साल तक निर्वासित जीवन व्यतीत करना पड़ा।
हाफिज सईद के बंगले पर बम फेंकने का लगा आरोप
साल 2000 के दशक में पाकिस्तान के करांची में आतंकीहाफिज सईद के बंगले पर बम फेका गया था। उस समय पाकिस्तान सरकार ने आधिकारिक बयान जारी कर भारत सरकार और बबलू श्रीवास्तव को जिम्मेदार बताया था। बबलू श्रीवास्तव के खिलाफ देश के अलग अलग राज्यों में 60 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। सौ से अधिक अन्य मुकदमों में उसे शामिल होने की आशंका है।
पंंकज महिंद्रा केस में दर्ज होगा बयान
प्रयागराज में पंकज महिंद्रा अपहरण केस भी बबलू श्रीवास्तव का नाम आया। साल 2015 में हुए इस वारदात के दौरान बबलू श्रीवास्तव बरेली जेल में था। उसके ऊपर आरोप है कि उसी ने साजिश रची थी। 10 करोड़ की रंगदारी मांगी थी। आज उसका कोर्ट में बयान दर्ज होना है। बबलू श्रीवास्तव करीब 25 साल पहले मारीशस में गिरफ्तार हुआ था। उसी समय उसे प्रर्त्यपण कर भारत लाया गया।
लिख चुका है तीन किताबें
बरेली जेल के अधिकारियों की माने तो 25 साल के अंदर बबलू के व्यवहार में काफी परिवर्तन आया है। उसने जेल की काल कोठरी में ही बैठकर अपराध के विषय पर तीन किताबें लिखी हैं। उसकी पहली किताब साल 2004 में अधूरी ख्वाहिश के नाम से आई थी। दूसरी किताब साल 2018 में बढ़ते कदम नाम से प्रकाशित हो चुकी है। तीसरी किताब क्रिमिनल का काम पूरा हो चुका है। छपने के लिए प्रेस में चली गई है।
Updated on:
16 Oct 2023 06:11 pm
Published on:
16 Oct 2023 06:10 pm
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