24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सुरेंद्र-वीरेंद्र में जंग, असमंजस में स्वतंत्र

-समझ में नहीं आ रहा पार्टी विधायक की आजादी पर कैसे लगाएं ब्रेक -बागी बलिया में भाजपा विधायक और सासंद में जंग, रोज-रोज की किच-किच से योगी भी तंग-ऐसे विधायक की कहानी जिसने अपनों से छेड़ी है लड़ाई-पहलवान और मास्टर में छिड़ी लड़ाई का मजा ले रहा विपक्ष -विवादित बयानों की वजह से हमेशा रहते हैं सुर्खियों में

4 min read
Google source verification
सुरेंद्र-वीरेंद्र में जंग, असमंजस में स्वतंत्र

सुरेंद्र-वीरेंद्र में जंग, असमंजस में स्वतंत्र

महेंद्र प्रताप सिंह
पत्रिका इन्डेप्थ स्टोरी
लखनऊ. बागी बलिया का तेवर हमेशा से गर्म रहा है। कहते हैं बलिया देश की आजादी से पांच साल पहले ही स्वतंत्र हो गया था। तब से लेकर आज तक यहां के आजाद ख्याल यहां के लोगों को बंदिशें पसंद नहीं। नियम कानून से परे कोई बात हुई तो उसे भी लोग बर्दाश्त नहीं करते। नेता हों या आम आदमी इसलिए कई बार अपनों से ही भिड़ जाते हैं। मौजूदा वक्त में यहां के दो नेताओं की रार खूब सुर्खियां बटोर रही है। यूं तो बलिया में छह विधानसभाएं हैं। लेकिन, 2017 से एक नाम हर पखवाड़े चर्चा में आ जाता है, वह बैरिया। यहां से एक मास्टर साहब पहली बार विधायक बने हैं। नाम है सुरेंद्र सिंह। विधायक जी पाकिस्तान, मुसलमान, सपा, बसपा सबको कोसते रहते हैं। यहां तक कि वे अपनी ही सरकार और अपने ही लोगों के खिलाफ मोर्चा खोले रहते हैं। कभी अफसरों के भ्रष्टाचार को लेकर धरने पर बैठ जाते हैं तो कभी पुलिसिया कार्रवाई पर योगी सरकार को घेरते हैं। अब इनकी जंग बलिया के ही सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त से छिड़ी है। वीरेंद्र सिंह मस्त उर्फ पहलवान जी और विधायक सुरेंद्र सिंह उर्फ मास्टर की जंग पर विपक्ष खूब चटखारे ले रहा है।

सांसद और विधायक के बीच छिड़ी लड़ाई की वजह 25 बीघा जमीन है। विधायक का आरोप है कि सांसद के भांजे विनय कुमार सिंह ने पशु मेले की जमीन गलत तरीके से अपने नाम लिखवा ली है। रजिस्ट्री में गवाह सांसद के भाई कन्हैया सिंह हैं। ऐसे में सांसद जी की भी मिलीभगत है। सुरेंद्र का आरोप है कि अनिल सिंह भू माफिया हैं। और बीजेपी शासन मे भू माफिया बेलगाम हैं।

बीजेपी एमएलए का बड़ा बयान :- विधायक सुरेंद्र सिंह ने अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेस बुलायी। इसमें उन्होंने बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा भू माफियाओं ने पशु मेला की जमीन एक कंपनी के नाम रजिस्ट्री करवा ली गयी। यह कंपनी सांसद जी के एक रिश्तेदार की है। कंपनी ने धार्मिक मेले की जमीन भी रजिस्ट्री करवा ली है। उनका कहना है कि यह जमीन ग्राम समाज की है। बीजेपी विधायक का आरोप है कि सांसद गिरी हुई राजनीति कर रहे हैं। वे धार्मिक मेले की जमीन बचाने के लिए डीएम से सीएम और ग्राम सभा से विधानसभा तक संघर्ष करेंगे।

क्या कह रही है कंपनी :- कंपनी के डायरेक्टर और बलिया संसदीय सीट से बीजेपी सांसद एवं भारतीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त के भांजे विनय कुमार सिंह का कहना है कि कंपनी 2013 की है। यह देश के विभिन्न राज्यों में सही और साफ सुथरे तरीके से काम करती है। विनय का कहना है कि कंपनी ने इब्राहिमाबाद में व्यापारिक दृष्टिकोण से कुछ किसानों की जमीनें खरीदी हैं। इसका जो सरकारी राजस्व बनता है उसे किसानों का भुगतान किया गया है। किसी सांसद के परिवार का सदस्य होना या रिश्तेदार होना अपराध नहीं है। कुछ भी गलत है तो उसका निर्णय कोर्ट करेगा न कि विधायक। उधर, सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का कहना है इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। कुछ भी गलत हुआ होगा तो दोषियों पर काननून कार्रवाई होगी।

जंग की वजह :- सूत्रों का कहना है कि वीरेंद्र सिंह मस्त और सुरेंद्र सिंह के बीच जंग की वजह दोनों नेताओं के बीच तालमेल न होना है। पार्टी जिले में अंतर्कलह से जूझ रही है। बलिया के पूर्व सांसद भरत सिंह और सुरेंद्र सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी। लेकिन, पार्टी ने भरत सिंह के बजाय वीरेंद्र को टिकट दे दिया। इस वजह से सुरेंद्र सिंह वीरेंद्र के खिलाफ हैं। यही वजह है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर भी आपसी खींचतान सतह पर आ जा रही है।

संघ के प्रिय हैं दोनों नेता :- पार्टी के ही सांसद और विधायक के बीच लड़ाई सार्वजनिक होने के बाद भाजपा और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परेशान हैं। हालांकि, अभी भाजपा और मुख्यमंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तक यह मामला पहुंच चुका है। वे भारी असमंजस में हैं कि विधायक के कुछ भी बोलने की आजादी पर कैसे रोक लगाएं। चूंकि, मामला संघ से जुड़ा है। सांसद और विधायक दोनों ही प्रचारक रहे हैं। दोनों ही संघ के प्रिय हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब संघ के हस्तक्षेप के बाद ही यह मामला शांत होगा।

स्वभाव से मस्त नेता हैं वीरेंद्र :-भारतीय जनता पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ता वीरेंद्र सिंह मस्त दो बार मिर्जापुर और एक बार भदोही से भाजपा सासंद रह चुके हैं। चौथी बार वह बलिया लोकसभा सीट से जीते। 2019 के चुनाव में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का रिकार्ड तोड़ते हुए 43 प्रतिशत मत हासिल किए थे। स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े मस्त भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। 21 अक्तूबर 1956 को बलिया के दोकटी गांव में जन्मे वीरेंद्र सिंह के नाम के साथ मस्त शब्द का जुडऩा कम रोचक नहीं है। बताते हैं यहां के मुनेश्वरा नंद खपरिया बाबा ने जन्म के समय इनका मस्त रखा था। तब से यह अपने नाम को चरितार्थ करते हुए राजनीति कर रहे हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति में सक्रिय रहे मस्त भदोही में भाजपा युवामोर्चा के जिलाध्यक्ष, भाजपा जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। 1991 में यह भदोही लोकसभा से 10वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

विवादास्पद बयानों से सुर्खियां बटोरते रहे हैं सुरेंद्र :- बैरिया से विधायक सुरेंद्र सिंह 2017 से ही अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं। विवादित बयानों की वजह से कई बार अपनी पार्टी को मुसीबत में डाल दिया। उनके मन में जो आता है वे बोल देते हैं। बैरिया विधानसभा के चांदपुर गांव में 1962 में जन्मे सुरेंद्र सिंह एमए बीएड-एमएड हैं। छपरा के पीएन इंटर कॉलेज में यह सहायक अध्यापक हैं। राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रचारक संघ में तहसील कार्यवाह और जिला कार्यवाह रह चुके हैं। 2003 में इन्होंने द्वाबा विकास मंच बनाकर विधानसभा चुनावें में निर्दल प्रत्याशी खड़ा किया। तब इनकी वजह से भाजपा के भरत सिंह चुनाव हार गए थे। 2014 में इन्होंने ने ही भरत सिंह लोकसभा का चुनाव लड़वाया। वे जीत गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र को भाजपा से टिकट मिल गया और यह मास्टर से विधायक बन गए। तबसे इनके तेवर हमेशा बागियों वाले ही रहे हैं।