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KGMU लव जिहाद मामले में बड़ा एक्शन, विशाखा समिति रिपोर्ट के बाद आरोपी डॉक्टर सस्पेंड

KGMU में सामने आए लव जिहाद मामले में अब सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। विशाखा समिति की रिपोर्ट और एफआईआर दर्ज होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर दिया। सरकार के निर्देशों के तहत यह कदम महिला सुरक्षा और संस्थागत अनुशासन की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Dec 23, 2025

KGMU Love Jihad Major Action (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

KGMU Love Jihad Major Action (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

KGMU Love Jihad Major Action: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में सामने आए कथित लव जिहाद मामले ने अब निर्णायक मोड़ ले लिया है। पीड़िता की शिकायत, महिला आयोग के हस्तक्षेप और एफआईआर दर्ज होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर दिया है। विशाखा समिति की रिपोर्ट के आधार पर केजीएमयू के कुलपति (VC) ने यह कार्रवाई की, जिसे सरकार के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप बताया जा रहा है।

विशाखा समिति की रिपोर्ट के बाद बड़ा फैसला

केजीएमयू प्रशासन ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आंतरिक जांच के लिए विशाखा समिति का गठन किया गया था। समिति ने पीड़िता के बयान, उपलब्ध साक्ष्यों और परिस्थितियों का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपी। रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं और आचार संहिता के उल्लंघन के संकेत मिलने के बाद कुलपति ने तत्काल प्रभाव से आरोपी डॉक्टर को सस्पेंड करने का आदेश दिया। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि जांच पूरी होने तक आरोपी डॉक्टर को किसी भी शैक्षणिक, चिकित्सकीय या प्रशासनिक कार्य से दूर रखा जाएगा, ताकि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके।

सरकार के सख्त निर्देशों के बाद तेज हुई कार्रवाई

सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने केजीएमयू लव जिहाद मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी स्तर पर ढिलाई न बरती जाए। महिला आयोग द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश और पीड़िता को सुरक्षा मुहैया कराने के बाद सरकार की ओर से विश्वविद्यालय प्रशासन को भी त्वरित कार्रवाई के संकेत मिले। सरकार का मानना है कि शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों में पढ़ने और काम करने वाली छात्राओं व महिलाओं की सुरक्षा सर्वोपरि है। ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।

FIR के बाद सस्पेंशन की कार्रवाई

महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव के निर्देश पर जैसे ही एफआईआर दर्ज हुई, उसके बाद केजीएमयू प्रशासन हरकत में आया। एफआईआर के बाद आरोपी डॉक्टर के निलंबन की प्रक्रिया शुरू की गई, जिसे अब औपचारिक रूप से पूरा कर लिया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह केवल प्रारंभिक कार्रवाई है। पुलिस जांच, कानूनी प्रक्रिया और विश्वविद्यालय स्तर की अनुशासनात्मक कार्रवाई समानांतर रूप से चलती रहेगी।

पीड़िता को मिलेगा पूरा सहयोग

केजीएमयू प्रशासन और महिला आयोग दोनों ने पीड़िता को आश्वस्त किया है कि उसे किसी भी प्रकार का दबाव, डर या प्रताड़ना सहन नहीं करनी पड़ेगी। आवश्यकता पड़ने पर काउंसलिंग, कानूनी सहायता और सुरक्षा व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि पीड़िता की पहचान और गोपनीयता की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उसके शैक्षणिक भविष्य पर किसी भी तरह का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा।

लव जिहाद मामले ने उठाए गंभीर सवाल

यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं माना जा रहा, बल्कि इसने विश्वविद्यालय परिसरों में छात्राओं की सुरक्षा, आचार संहिता और निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सामाजिक संगठनों और छात्र समूहों का कहना है कि ऐसे मामलों में समय रहते सख्त कार्रवाई बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई और छात्रा ऐसी स्थिति का शिकार न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि भावनात्मक शोषण और पहचान से जुड़े मामलों में पीड़ित अक्सर देर से सामने आते हैं। ऐसे में संस्थानों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वे शिकायत मिलने पर संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्रवाई करें।

केजीएमयू प्रशासन का बयान

केजीएमयू प्रशासन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि विश्वविद्यालय महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। विशाखा समिति का गठन और उसकी सिफारिशों पर कार्रवाई इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो आरोपी के खिलाफ और भी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें सेवा से बर्खास्तगी तक का प्रावधान शामिल है।

छात्र और कर्मचारी संगठनों की प्रतिक्रिया

मामले के सामने आने के बाद केजीएमयू के छात्र और कर्मचारी संगठनों में भी हलचल है। कई छात्र संगठनों ने प्रशासन के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कदम भरोसा बहाल करने वाला है। वहीं कुछ संगठनों ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष और समयबद्ध जांच हो तथा दोषी को कड़ी सजा मिले।

कानूनी प्रक्रिया जारी, नजरें जांच पर

अब इस पूरे मामले में पुलिस जांच, महिला आयोग की निगरानी और विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच,तीनों की दिशा पर सभी की नजरें टिकी हैं। एफआईआर दर्ज होने और निलंबन की कार्रवाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि मामला केवल आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा।