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योगी सरकार के बर्खास्त मंत्री राजभर ने खोला मोर्चा, इन चार दलों से किया गठबंधन, सरकार के खिलाफ करेंगे 75 रैलियां

locationलखनऊPublished: Dec 11, 2019 03:33:53 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने चार दलों संग मिलकर बनाया भागीदारी संकल्प मोर्चा, सरकार की नीतियों के खिलाफ 75 जिलों में करेंगे रैलियां

omprakash rajbhar

सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए बने भागीदारी संकल्प मोर्चा की पहली रैली 14 दिसंबर को बलिया के सुखपुरा में होगी

लखनऊ. भाजपा से बगावत कर मंत्रीपद गंवाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चा का गठन किया है। इस मोर्चे में पांच छोटे-छोटे दलों को शामिल किया गया है। इनमें जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू सिंह कुशवाहा, राष्ट्र उदय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू रामपाल, राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति और जनता क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल सिंह चौहान शामिल हैं। बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि कई छोटे दल भागीदारी संकल्प मोर्चा के संपर्क में हैं। उनके साथ मिलकर 2022 में यूपी की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि किसी बड़े दल से समझौता नहीं करेंगे। सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए बने भागीदारी संकल्प मोर्चा की पहली रैली 14 दिसंबर को बलिया के सुखपुरा में होगी। इसके बाद सभी 75 जिलों में रैलियां की जाएंगी।
मोर्चे के गठन के बाद सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए वर्तमान सरकार को गरीब विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक और आदिवासी विरोधी है। बीजेपी सराकर पांच लाख दीये जलाने और 120 फीट ऊंची मूर्ति लगाने का ढिंढोरा पीट रही है, जिससे वंचित समाज का कोई भला होने वाला नहीं है। राजभर ने कहा कि वंचित समाज के लोगों को धर्म के नाम पर बरगलाया जा रहा है। गरीबों के लिए अस्पताल बनाने, उनके मुफ्त इलाज की कोई बात नहीं करता। पिछले कई वर्षों से पार्टियों ने गरीबी समाप्त करने के नाम पर सिर्फ गरीबों का वोट ही लिया है।
लोकसभा चुनाव से पहले गंवाया था मंत्रिपद
ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन पिछड़ों के लिए अलग से आरक्षण और सरकार विरोधी बयानबाजी के चलते उन्हें मंत्रिपद गंवाना पड़ा। इसके बाद उनकी पार्टी ने अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ा था।

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