24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बायोबैंक से आनुवांशिक बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद

इधर, माइग्रेन के भीषण दर्द से राहत देगी सिरोधारा,बीमारी होगी जड़ से खत्म

2 min read
Google source verification

लखनऊ

image

Ruchi Sharma

Nov 22, 2018

doctor

बायोबैंक से आनुवांशिक बीमारियों के इलाज में मिलेगी मदद

लखनऊ. हम सब जानते है कि आंनुवाशिक रोग वो रोग या बीमारी होते है जो बच्चों में उनके माता-पिता से विरासत में मिलते है, जो पीढ़ी दर पीढी आगे बढ़ते रहते है। पर अब केजीएमयू अनुवंशिक बीमारियों से पर्दा उठाएगा। कैंसर, डायबिटीज, थैलेसीमिया व हीमोफीलिया जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति परिवार के दूसरे सदस्यों को आगाह करेगा। यही नहीं कैंसर मरीज के इलाज के दौरान उसकी जींस में हो रहे बदलाव के बारे में आसानी से जानकारी हासिल हो सकेगी। उसके लिए केजीएमयू में बायोबैंक बनेगा। करीब छह करोड़ रुपए की लागत से लाइव स्थापित की जाएगी।

सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च सेंटर के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट की डॉक्टर नीतू सिंह ने बताया कि बीमारियों पर शोध के लिए बायो बैंकिंग एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

अमेरिका के डॉक्टर विलियम्स न्यूमैंने हंड्रेड थाउजेंड जीनोम प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि उनके विभाग में एक लाख लोगों के जीवन को लेकर शोध किया जा रहा है। इसे अनुवांशिक बीमारियों को पहले के मुकाबले पहचानने और इलाज में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि यूरोप एवं एशिया मूल के निवासियों के जींस में काफी असमानताएं होती है। एशियाई देशों को भी इस शोध के बाद अनुवांशिक बीमारियों को पहले के मुकाबले समझने व उनके इलाज में आसानी होगी।

जानिए क्या है बायोबैंक

प्रोफेसर इनएनुअल हेसेट ने बायो बैंकिंग के बारे में बताया कि इसके द्वारा टिशू, डीएनए, आरएनए को 5 से 10 साल के लिए स्टोर करने में मदद मिलेगी। जिससे किसी कैंसर पेशेंट के इलाज के दौरान उसके जींस में हो रहे बदलाव के बारे में आसानी से जानकारी हासिल हो सकेगी।

माइग्रेन के भीषण दर्द से राहत देगी सिरोधारा, बीमारी होगी जड़ से खत्म

इस भागदौड़ और तनाव भरी जिंदगी में ज्यादातर लोगों को सिर में दर्द की शिकायत रहती है। यह परेशानी बार-बार होने पर माइग्रेन का रूप ले लेती है। अब इस दर्द से निजात पाने के लिए दवाईयां खाने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद में पंचकर्म व कुछ दवाओं से बीमारी पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकेगा। माइग्रेन की समस्या के लिए आयुर्वेद में इसका सटीक इलाज है। विवेकानंद में आयुर्वेद विभाग के डॉ. विजय सेठ ने कहा कि पंचकर्म के तहत सिरोधारा प्रक्रिया है। इसमें खास जड़ी बूटी से तैयार काढ़ा और तेल का इस्तेमाल किया जाता है। गुनगुना काढ़ा व तेल माथे के बीचो-बीच डालते हैं। 15 से 20 मिनट की प्रक्रिया से मरीज को राहत मिलती है। यह प्रक्रिया 25 से 30 दिन चलती है। इससे पहले शरीर को शुद्ध करने के लिए स्टीम बाथ समेत दूसरी प्रक्रिया भी की जाती है। सिरोधार के साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी लेनी होती है। इससे बीमारी जड़ से खत्म होती है।