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BJP गाजियाबाद-मेरठ लोकसभा सीट पर बदल सकती है प्रत्याशी, जाति के समीकरण तय करेंगे टिकट के दावेदार!

लोकसभा चुनाव 2024 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। भारतीय निर्वाचन आयोग कभी भी चुनावी तारीखों का ऐलान कर सकता है।

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General VK Singh and Rajendra Agarwal

General VK Singh and Rajendra Agarwal

UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। भारतीय निर्वाचन आयोग कभी भी चुनावी तारीखों का ऐलान कर सकता है। बीजेपी (BJP) की पहली लिस्ट में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 51 पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है। बाकी के बचे 29 सीटों का भी जल्दी ही खुलासा हो जाएगा। 29 में से 21 संसदीय सीटों पर भाजपा अपना प्रत्याशी उतारेगी। जबकि 2 सीटें जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल( RLD), 2 सीटें अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) और 1 सीट ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के हिस्से में गई है।

भाजपा के खाते में गाजियाबाद और मेरठ जैसी हॉट सीट आई हैं। चर्चा है कि भाजपा इन सीटों पर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतार सकती है। मेरठ लोकसभा सीट से किसी सेलिब्रिटी को टिकट दिया जा सकता है। वर्तमान में मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं। और वे लगातार 3 बार से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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राजेंद्र अग्रवाल भाजपा का बड़ा चेहरा हैं। वो पिछले तीन चुनाव से मेरठ सीट से जीतते आ रहे हैं। लेकिन भाजपा इस बार यहां प्रत्याशी बदलकर बड़ा सरप्राइज दे सकती है। हालांकि बीजेपी ऐसे सरप्राइज कई और लोकसभा सीटों पर दिखाई दे सकती हैं। वहीं गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र से जनरल वीके सिंह सांसद हैं। वह लगातार दो बार से संसद में गाजियाबाद का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इन दोनों सीटों पर जातिगत समीकरण के हिसाब से टिकट ही दिए जाएंगे।

पार्टी सूत्र के मुताबिक गाजियाबाद और मेरठ लोकसभा सीट पर ठाकुर-वैश्य समाज का वर्चस्व है। और दोनों सीटों पर एक-दूसरे के समीकरण को देखते हुए उम्मीदवार तय किए जाएंगे। यदि गाजियाबाद में किसी ठाकुर समाज नेता को टिकट मिलता है। तो मेरठ में वैश्य समाज के नेता को ही टिकट दिया जाएगा। और यदि मेरठ से किसी ठाकुर को चुनावी दंगल में उतारा जाता है तो गाजियाबाद में किसी वैश्य को चुनावी समर में उतारा जाएगा।

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यदि गाजियाबाद सीट ठाकुर बिरादरी के हिस्से में आती है। तो यहां से अरुण सिंह, संगीत सोम, ब्रजेश सिंह और सतेन्द्र सिसोदिया में से किसी एक के नाम पर मोहर लग सकता है। और मेरठ में वैश्य समाज के अनिल अग्रवाल, विकास अग्रवाल, कपिल देव, अतुल गर्ग, अमित अग्रवाल और मयंक गोयल का नाम कैंडिडेट की लाइन में उछल रहा है। वहीं गाजियाबाद लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के नाम की भी चर्चा है। हालांकि गाजियाबाद के वर्तमान सांसद जनरल वीके सिंह भी अपने पक्ष में हवा बनाए हुए हैं।

अगर जातिगत समीकरण के हिसाब से टिकट बांटा गया तो गाजियाबाद के मतदाताओं को एक बार फिर बाहरी उम्मीदवार के सहारे चुनावी गंगा पार करनी होगी। गाजियाबाद के लोगों के नसीब में ऐसा कम ही हुआ है। जब उन्होंने अपने समाज के बीच से कोई सासंद चुनकर दिल्ली भेजा हो। गाजियाबाद सीट भाजपा का मजबूत किला मानी जाती है। यहां पर चुनावों में ‘साठा चौरासी’ का समीकरण ही तय करता है कि वह किसे चुनकर संसद भेजेंगे। इस सीट पर ठाकुर समाज का बाहुल्य है। और रमेश चंद्र तोमर ने लगातार 4 बार इस सीट से भाजपा का प्रतिनिधित्व किया है।

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साल 2008 तक यह हापुड़-गाजियाबाद लोकसभा सीट हुआ करती थी। लेकिन बाद में हापुड़ को यहां से हटाकर मेरठ में शामिल कर दिया गया। इसके बाद गाजियाबाद स्वतंत्र लोकसभा सीट बन गई। रमेश चंद्र तोमर के बाद से यहां लगातार बाहरी नेताओं को टिकट दिया जाता रहा है। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने गाजियाबाद से जीत दर्ज की। 2014 और 2019 के चुनाव में जनरल वीके सिंह लगातार 2 बार भाजपा के टिकट पर विजयी रहे हैं। गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीट आती हैं। और सभी 5 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। साहिबाबाद से विधायक सुशील कुमार शर्मा को मुश्किल से 2 दिन पहले ही में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया है। सुशील शर्मा को मंत्री बनाए जाने के पीछे भी ब्राह्मण समुदाय के वोट को संगठित करके रखना ही उद्देश्य रहा है। क्योंकि ब्राह्मण समाज एक लंबे समय से गाजियोबाद सीट से संसदीय प्रतिनिधित्व की मांग करता रहा है। जो कि भाजपा ने कभी भी मौका नहीं दिया। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले सुशील शर्मा को मंत्री बनाकर ब्राह्मण समाज के लोगों को खुश करने का प्रयास किया गया है।

मेरठ लोकसभा सीट की बात करें तो यह बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र रहा है। भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल लगातार 3 बार से इस सीट पर BJP का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पिछले चुनाव में BSP के हाजी याकूब कुरैशी के साथ उनकी कांटे की मुकाबला हुआ था। तब राजेंद्र अग्रवाल को 5 लाख 86 हजार वोट मिले थे। तो वहीं याकूब कुरैशी को 5 लाख 81 हजार मत प्राप्त हुए ते। राजेंद्र अग्रवाल का हमेशा से मुकाबला बहुजन समाज पार्टी से ही रहा है। यहां विधानसभा की 5 सीट हैं जिनमें दो पर सपा का कब्जा है। कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन होने से भाजपा हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। भाजपा ने 1996 में यहां पहली बार अमर पाल सिंह के बूते अपने खाता खोला था। इसके बाद 1999 में यह सीट अवतार सिंह भड़ाना के सहारे कांग्रेस के खाते में चली गई थी।