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मिशन 2019: जानें कौनसा दल किस मुद्दे पर लड़ सकता है चुनाव, तैयार हो रही स्ट्रैटेजी

मिशन 2019: जानें कौनसा दल किस मुद्दे पर लड़ सकता है चुनाव, तैयार हो रही स्ट्रैटेजी

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akhilesh

मिशन 2019: जानें कौनसा दल किस मुद्दे पर लड़ सकता है चुनाव, तैयार हो रही स्ट्रैटेजी

लखनऊ. मिशन 2019 के लिए हर दल ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। सत्तादल बीजेपी अपनी सरकार के काम के अलावा 'राम' के सहारे भी नैया पार करने में जुट गई है तो कांग्रेस भी सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर है। वहीं सपा व बसपा में अभी गठबंधन की खिचड़ी पक रही है तो आम आदमी पार्टी(आप) व सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) यूपी को चार भाग में बांटने के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में ये जानना दिलचस्प हो गया है कि पार्टियों के भीतर इन दिनों क्या पक रहा है।


राम मंदिर को अहम मुद्दा बना सकती है बीजेपी


अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 29 अक्टूबर से इस मामले की सुनवाई होगी। ऐसे में बीजेपी को इस मामले को लेकर फिर से उम्मीद लगने लगी है। यही कारण है कि कई बीजेपी नेता इस पर बयान दे रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी इसे आगामी लोकसभा चुनाव का अहम मुद्दा भी बना सकती है। इस मुद्दे पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अयोध्या में विवाद को सुलझाना देश के हित में है। बेहतर होता अगर से पहले ही सुलझा लिया जाता। मैं अब भी सभी से अपील करता हूं कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाए। वहीं वरिष्ठ बीजेपी नेता उमा भारती ने कहा है कि इसमें कोई धार्मिक टकराव नहीं है। अयोध्या हिन्दुओं के लिए धार्मिक स्थान है। मुसलमानों का धार्मिक स्थान मक्का है।

कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व पर लड़ सकती है चुनाव


कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद अपने पहले अमेठी दौरे पर राहुल गांधी शिवभक्त के रूप में दिखे। दरअसल इसके लिए कांग्रेसियों ने खास तैयारी की थी। स्वागत के लिए लगाए गए बैनर व पोस्टर पर तस्वीरों में उनके कंधे पर चुनरी रखी हुई दिखाई दे रही है। बता दें कि अमेठी में 'शिवभक्त राहुल गांधी' के तमाम पोस्टर भी लगाए गए थे। । राहुल का जिस तरह से शिवभक्त के तौर पर भव्य स्वागत किया गया उससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि सॉफ्ट हिंदुत्व फैक्टर पर कांग्रेस ने मिशन 2019 की तैयारी शुरू कर दी है।दरअसल अभी कांग्रेस का महागठबंधन में शामिल होने को लेकर संशय बरकरार है। सपा-बसपा ने भी कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर स्थिति नहीं शुरू की है। ऐसे में कांग्रेस सभी सीटों पर मिशन 2019 की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली मुख्यालय की ओर से यूपी के हर जिले से चार-चार नाम मांगे गए हैं जो चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इनका बायोडाटा भी मांगा गया है। इनमें 25 सीटों पर कांग्रेस का ज्यादा फोकस है।

चार भाग में बांटने का मुद्दा उठाएंगी आप व सुभासपा

यूपी को चार भाग में बांटने का मुद्दा अब आम आदमी पार्टी जोर-शोर से उठाएगी। आप सांसद व यूपी प्रभारी संजय सिंह ने कहा है कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करेगी। उनके मुताबिक यूपी के विकास में सबसे बड़ा रोड़ा राज्य का काफी बड़ा होना है। अगर इसे चार भाग में बांट दिया जाए तो उत्तराखंड की तरह यहां के चार भागों का विकास किया जा सकता है। संजय सिंह ने कहा कि पश्चिम यूपी, पूर्वी यूपी, बुंदेलखंड व अवध प्रदेश के तौर पर इसे चार भाग में बांटने की जरूरत है।बता दें कि इससे पहले नोएडा में एक रैली के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविंद केजरीवार ने भी यूपी को चार भाग में बांटने की बात कही थी। केजरीवाल ने कहा था, "UP एक बड़ा राज्य है, छोटे राज्य में विकास आसान होता है, इसलिए स्थानीय ज़रूरत को पूरा करने के लिए हम उत्तर प्रदेश को अवध, बुंदेलखंड, पुर्वांचल व पश्चिम में बांटने की मांग का समर्थन करते हैं, न सिर्फ समर्थन, हम इसके लिए संघर्ष भी करेंगे." इस रैली के दौरान शत्रुघन सिन्हा व यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे। सुभासपा) के अध्यक्ष राजभर ने कहा कि अब चूंकि वह अपने संगठन का विस्तार पूरे प्रदेश में कर रहे हैं, लिहाजा वह सूबे को चार राज्यों में बांटने की मांग का भी समर्थन करते हैं। उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में इसे एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर उठाते हुए जनता के बीच जाएगी। साथ ही वह इसके लिए आंदोलन भी करेगी।


सपा-बसपा में चल रहा मंथन

सपा-बसपा के गठबंधन पर अखिलेश तो कई बार बोल चुके हैं लेकिन मायावती अभी चुप हैं। मार्च में फूलपुर और गोरखपुर के उपचुनाव के नतीजे आने के बाद एक-दूसरे को मुबारकबाद देने के बहाने बीएसपी चीफ मायावती और एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने पहली बार औपचारिक रूप से मुलाकात की थी। उसके बाद दोनों के दरम्यान वन-टु-वन कोई मुलाकात नहीं हुई। मई महीने में कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के मौके पर जरूर दोनों नेताओं ने मंच साझा किया था। दोनों पार्टी के नेताओं के भीतर यह जानने की उत्सुकता बढ़ती जा रही है कि आखिर गठबंधन को लेकर क्या चल रहा है/ अगर गठबंधन होता है तो उसकी तस्वीर क्या होगी/ सबसे ज्यादा जो चिंता दोनों पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को खाए जा रही है कि वह यह है कि आखिर दोनों नेता गठबंधन को लेकर कोई कदम क्यों नहीं बढ़ा रहे, बात वहीं क्यों अटकी हुई है।