
2019 की जंग के लिए महापुरुषों की मूर्तियां साफ करने में जुटी भाजपा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी की एक साल के भीतर ही उपचुनाव में लगातार मिल रही करारी शिकस्त ने चिन्ता बढ़ा दी है। गोरखपुर, फूलपुर के बाद कैराना और नूरपुर के उपचुनाव में भाजपा की हार ने इस बात का संकेत किया है कि दलित वोट बैंक का बड़ा हिस्सा विपक्ष की ओर शिफ्ट हुआ है और यदि इन वोटों को नहीं साधा गया तो भाजपा की 2019 की राह बेहद मुश्किल होने वाली है। ऐसे में भाजपा ने जून महीने में जिस ग्राम चौपाल कार्यक्रम की शुरुआत की है और इससे पहले सामाजिक समरसता कार्यक्रम आयोजित किये थे। इन दोनों ही अभियानों की अवधि में भाजपा ने महापुरुषों की मूर्तियों की सफाई का काम काम कर अपना सियासी सन्देश देने की कोशिश की है। पिछले महीने दो दिनों तक महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई का कार्यक्रम करने के बाद अब भाजपा इस कार्यक्रम को अपने अगले अभियानों में भी शामिल करने की तैयारी में है।
30 और 31 मई को चलाया अभियान
भारतीय जनता पार्टी ने ग्रामीण और दलित वोटरों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने के मकसद से पिछले दिनों सामाजिक समरसता अभियान चलाया जिसके तहत नेताओं ने गांव-गांव जाकर रात्रि प्रवास किया। इस दौरान कई नेताओं के बयानों और कारनामों से विवाद की स्थिति भी पैदा हुई और पार्टी को आलोचना का सामना करना पड़ा। इन अनुभवों से सीख लेते हुए पार्टी ने इस बार थोड़े परिवर्तन के साथ ग्राम चौपाल कार्यक्रम की शुरुआत की है। इन कार्यक्रमों के साथ ही भाजपा ने 30 और 31 मई को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम था महापुरुषों की मूर्तियों की साफ-सफाई का। इस दौरान पूरे प्रदेश में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दलित महापुरुषों की मूर्तियों की साफ़-सफाई की। इस साफ-सफाई के अभियान में दलित महापुरुषों की मूर्तियों पर विशेष फोकस किया।
विपक्ष ने साधा निशाना
इस अभियान के दौरान कई तरह के विवाद भी सामने आये। कहीं बाबा साहब की मूर्ति को दूध से नहलाने तो कहीं भगवा वस्त्र पहनाने को लेकर विवाद हुआ। इन सबके बीच भाजपा ने यह बताने की कोशिश की कि मूर्तियों की साफ-सफाई का यह काम लगातार चल रहे कार्यक्रमों का हिस्सा है जबकि जानकार मानते हैं कि भाजपा ने बदली हुई रणनीति के तहत बनाये गए नए कार्यक्रमों में इसे शामिल किया है। भाजपा की इस रणनीति का शायद विपक्ष को भी अंदाजा था और इसी को देखते हुए बाबा साहब की प्रतिमाओं पर दूध चढाने और भगवा कपड़े डालने पर विपक्षी दलों की ओर से निशाना साधा गया।
डैमेज कंट्रोल की कोशिश
माना जा रहा है कि इस विशेष अभियान के सहारे भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की भी कोशिश की है। दरअसल पिछले दिनों प्रदेश के कई हिस्सों में जिस तरह बाबा साहब की मूर्तियों को तोड़ने की घटनाएं सामने आई थीं उसके बाद न सिर्फ बसपा ने बल्कि खुद भाजपा सांसद सावित्री बाई फूले ने भी इसे मुद्दा बनाते हुए सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किया था। इसके बाद मूर्तियों की साफ-सफाई के बहाने खासतौर से दलित महापुरुषों की प्रतिमाओं पर फोकस कर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल की भी कोशिश की। इसके साथ ही इसे निरंतर जारी रखने की उसकी रणनीति उसे विपक्ष के हमलावर रुख से भी बचाने का काम करेगी।
आगे भी जारी रहेगा कार्यक्रम
इन सबके बीच भारतीय जनता पार्टी ने इस पूरे मामले को किसी तरह की चुनावी रणनीति मानने से पूरी तरह इंकार किया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि भाजपा नियमित रूप से जनसम्पर्क के कार्यक्रम आयोजित करती है। पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई का भी है। इस कार्यक्रम के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने सभी महापुरुषों की मूर्तियों की साफ-सफाई की। पार्टी इस तरह के कार्यक्रम समय-समय कर आयोजित करती रहती है। सिर्फ दलित महापुरुषों की प्रतिमाएं साफ नहीं की गई बल्कि सभी महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई कर इन मूर्तियों के रख-रखाव को लेकर लोगों को जागरूकता का सन्देश देने की कोशिश की गई।
Published on:
04 Jun 2018 03:56 pm
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