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यूपी के स्कूलों में लागू हुई नई व्यवस्था, बच्चों को स्मार्ट नहीं समझदार बनाने की तैयारी

योगी सरकार ने स्कूलों में रोज़ अख़बार पढ़ना अनिवार्य किया है। इससे बच्चों में पढ़ने की आदत, सामान्य ज्ञान, भाषा कौशल और सामाजिक समझ बढ़ेगी। साथ ही मोबाइल से दूरी और फेक न्यूज़ पहचानने की क्षमता भी विकसित होगी।

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लखनऊ

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Mahendra Tiwari

Dec 26, 2025

कक्षा में बैठे छात्र-छात्रा (File Photo Patrika)

कक्षा में बैठे छात्र-छात्रा (File Photo Patrika)

योगी सरकार ने स्कूलों में पढ़ाई को और बेहतर बनाने के लिए एक नया कदम उठाया है। अब राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में रोज़ाना अख़बार पढ़ना अनिवार्य होगा। इसका मकसद बच्चों में पढ़ने की आदत डालना और मोबाइल-स्क्रीन से दूरी बनाना है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने माध्यमिक और बेसिक शिक्षा से जुड़े सभी स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इस आदेश के तहत अब स्कूलों में रोज़ाना अख़बार पढ़ने की गतिविधि को अनिवार्य किया गया है। यह आदेश 23 दिसंबर को माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा द्वारा जारी किया गया है।

प्रत्येक स्कूल में हिंदी और अंग्रेजी के अखबार उपलब्ध कराए जाएंगे

नई व्यवस्था के अनुसार, हर स्कूल की लाइब्रेरी में हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे। सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान रोज़ कम से कम 10 मिनट अख़बार पढ़ने के लिए तय किए जाएंगे। इस दौरान छात्र बारी-बारी से देश-दुनिया की बड़ी खबरें, खेल समाचार और महत्वपूर्ण संपादकीय पढ़कर सुनाएंगे।

अखबार में चुने गए पांच कठिन शब्दों को नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा

इसके साथ ही बच्चों की भाषा और शब्द ज्ञान बढ़ाने के लिए “आज का शब्द” (Word of the Day) की शुरुआत भी की जाएगी। अख़बार से चुने गए पांच कठिन शब्दों को रोज़ स्कूल के नोटिस बोर्ड पर लगाया जाएगा। ताकि छात्र उनके अर्थ समझ सकें और अपने शब्द भंडार को बढ़ा सकें।
सरकार का मानना है कि इस पहल से बच्चों में पढ़ने की रुचि बढ़ेगी। सामान्य ज्ञान में सुधार होगा। वे समाज व देश-दुनिया की घटनाओं से जुड़ेंगे। साथ ही बच्चों की सोचने-समझने की क्षमता, एकाग्रता और सामाजिक जागरूकता भी मजबूत होगी।

बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार की नई पहल

सरकार का यह भी कहना है कि अख़बार पढ़ने की आदत से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की बेहतर तैयारी कर सकेंगे। इसके साथ ही फर्जी खबरों (फेक न्यूज़) को पहचानने में भी सक्षम बनेंगे। कुल मिलाकर यह पहल बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।