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PMAY-G में बड़ी गड़बड़ी, यूपी में 1,838 अपात्रों को मिल गए घर, अब सरकार कर रही वसूली

Pradhan Mantri Awas Yojana-Gramin : प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत यूपी में कुछ खामियां सामने आई हैं। CAG की रिपोर्ट के अनुसार 1838 अपात्रों को आवास का लाभ दे दिया गया।

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यूपी में पीएम आवास योजना- ग्रामीण में हुई गड़बड़ी, PC- Gemini Generated Symbolic Image.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के कार्यों को पूरा किया जा चुका है। जहां 2016-17 और 2022-23 के बीच स्वीकृत 34.18 लाख ग्रामीण घरों का निर्माण मार्च 2024 तक पूरा हो गया है।

हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के कार्यों में कई खामियां सामने आई हैं। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में सामने आया है कि जिलों में लापरवाही होने के कारण 1,838 अपात्र लाभार्थियों को 9.52 करोड़ रुपये जारी किया गया है। इनमें से 2.62 करोड़ रुपये सितंबर 2024 तक भी वापस नहीं लिए जा सके।

अपात्र लोगों को मिला PMAY-G का लाभ

CAG ने यह जानकारी PMAY-G के कार्यों पर तैयार अपनी रिपोर्ट में दी, जिसे उत्तर प्रदेश विधानसभा में पेश किया गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि लाभार्थियों की जांच सही तरीके से नहीं की गई है, जिससे कारण अपात्र लोगों को भी योजना का लाभ मिल गया।

रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2023 के बीच PMAY-G के तहत 34.71 लाख घरों को मंजूरी दी गई थी। इनमें से 0.58 प्रतिशत घर मार्च 2025 तक अधूरे हैं, जबकि योजना के नियमों के अनुसार स्वीकृति और राशि जारी होने के बाद 12 माह के भीतर मकान पूरा होना जरुरी होता है। इन अधूरे मकानों के लिए 134.51 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता पहले ही की जा चुकी है।

व्यवस्था में पाई गई कमियां

CAG की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन लाभार्थियों के पास अपनी जमीन भी नहीं थी, उनके लिए राज्य सरकार को सरकारी भूमि या किसी अन्य सार्वजनिक भूमि में उपलब्ध कराये जाना चाहिए, लेकिन इस व्यवस्था में भी कई कमियां पाई गई

प्रशासन ने खर्च किये 157 करोड़ रुपये

रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 से 2023 के दौरान PMAY-G के तहत कुल 40,231 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया था। इसमें से 37,984 करोड़ रुपये का उपयोग मकानों के निर्माण में खर्चा कर दिया गया। वहीं प्रशासनिक खर्च के लिए उपलब्ध राशि में से 157 करोड़ रुपये का ही खर्च किए गया है।

प्रशासनिक कार्य में पूरी राशि खर्च न होने के कारण केंद्र सरकार का 357.29 करोड़ रुपये का हिस्सा राज्य को नहीं मिल सका, जिससे योजना के संचालन पर भी असर पड़ा। राज्य द्वारा प्रशासनिक कार्य में कम उपयोग के कारण वर्ष 2017-23 के दौरान केंद्र सरकार के हिस्से से ₹ 357.29 करोड़ की कम राशि जारी की गई।