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कोठी-बंगले और परिवारवाद की राजनीति बचाने के लिए हो रहा महागठबंधन: बीजेपी

locationलखनऊPublished: Jun 05, 2018 06:45:36 pm

Submitted by:

Prashant Srivastava

यूपी में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा-कांग्रेस के महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं।

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बंगले,कोठियां और परिवारवाद की राजनिति बचाने के लिए हो रहा महागठबंधन: बीजेपी

लखनऊ. यूपी में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा-कांग्रेस के महागठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हैं। ऐसे में बीजेपी प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि सरकारी कोठियां, अकूत दौलत और परिवारवाद की राजनीति बचाने के लिए कुछ दलों ने एक दूसरे का धुरविरोधी होते हुए भी स्वार्थ का गठबंधन किया है। देश और प्रदेश की जनता इन दलों की नीति और नीयत समझ रही है। 2019 में एक बार फिर इस ठगबंधन को जनता करारा सबक सिखायेगी और नरेन्द्र मोदी जी जनता के आशीर्वाद से एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे।
‘सरकारी बंगला छोड़ने को लेकर नाटक’


शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि देश और प्रदेश की जनता देख रही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यूपी के कुछ नेताओं ने पहले तो सरकारी कोठियां न छोड़ने के लिए न सिर्फ तरह-तरह के हथकण्डे अपनाए बल्कि कोठियां छोड़ते वक्त पार्को के पौधे और टाइल्स तक निकलवा ले गये। यह सीधे-सीधे जनता के पैसों की बर्बादी है। प्रदेश की जनता ने वह वक्त भी देखा है जब इन सरकारी कोठियों में जनता की गाढ़ी कमाई कुछ राजनेताओं के सुख सुविधा के लिए पानी की तरह बहाई गयी। ऐसे नेता अब कोठियां वापस लिए जाने से काफी परेशान है और 2019 में प्रधानमंत्री मोदी का विजय रथ रोकने का सपना देख रहे हैं। ऐसे नेताओं को दरअसल इस बात की चिन्ता है कि अभी तो उनके कालेधन और सरकारी कोठियों को लेकर ही प्रभावी कार्रवाई हुई है। आगे एक बार फिर मोदी जी के नेतृत्व में जब भाजपा की सरकार बनेगी तब भ्रष्टाचार के पैसो से चल रहे तमाम दलों के वजूद पर ही संकट आ जाएगा।
‘पीएम-सीएम से सीखें विपक्षी दल’


प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर और प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बेहद गरीब परिवारों के बेटे बैंठे है। यह बात भी उन नेताओं को तकलीफ दे रही, जिन्होंने अपनी-अपनी पार्टियों को परिवार और अपने-अपने परिवारों को पार्टी बना रखा है। इन वंशवादी दलों ने आम कार्यकर्ताओं और गरीब परिवार के लोंगो के लिए कोई जगह दी नहीं है। इन परिवारवादी दलों में पार्टी प्रमुख से लेकर सरकार आने पर सत्ता प्रमुख तक की कुर्सी पर सिर्फ परिवारों का ही कब्जा रहता है। ऐसे दलों को मोदी जी और योगी जी की जोड़ी से बेहद बेचैनी है।

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