
Mayawati
लखनऊ. राजनीति को संभावनाओं का खेल यूं ही नहीं कहा जाता। कब कौन किस पद का दावेदार हो जाये और कब कौन किस पद पर काबिज हो जाये, यह कहना बड़ा मुश्किल होता है। फिलहाल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ तैयार हो रहे विपक्षी दलों के गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा। गठबंधन के लिए देश भर के भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने में सक्रिय भूमिका निभा रहे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कई मौकों पर कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री पद की दावेदारी चुनाव के बाद तय होगी। इस दावेदारी में यह बात भी महत्वपूर्ण होगी कि किसको कितने सीट मिले हैं। इन सबके बीच एक कयास यह लगाए जा रहे हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं।
सभी विपक्षी दलों की भूमिका पर चल रही है चर्चा
दरअसल पिछले कुछ समय से बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती केंद्र सरकार के खिलाफ बेहद हमलावर रुख अपनाये नजर आ रही हैं। देश भर में दलित उत्पीड़न के मुद्दे और आंदोलन केंद्र सरकार की परेशानी और किरकिरी का भी कारण बनते रहे हैं। ऐसे में एक दलित नेता के चेहरे के रूप में मायावती को आगे कर एक बड़े वोटबैंक को आसानी से साधे जा सकने की विपक्ष को उम्मीद दिखाई दे रही है। समाजवादी पार्टी से कट्टर दुश्मनी को भुलाकर उन्होंने जिस तरह से सपा को लोकसभा उपचुनाव में समर्थन दिया वह कई तरह के संकेतों को जाहिर करता है। कयास इस बात के लगाए जा रहे हैं कि विपक्षी दलों के गठबंधन में मायावती को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में सामने रखा जाएगा। इसके साथ ही कांग्रेस, सपा सहित अन्य दलों की भूमिका पर भी लगातार चर्चा चल रही है और इन सबको गठबंधन में सम्मानजनक ओहदा देने का फार्मूला तैयार किया जा रहा है।
यूपी पर फोकस करेंगे अखिलेश
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के बाद पूरी तरह से उत्तर प्रदेश की राजनीति पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। मायावती के केंद्र की राजनीति में चले जाने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव के खिलाफ मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में सिर्फ भाजपा बचेगी और बसपा उसके समर्थन में रहेगी। हालांकि यह सब कयास है और जब तक गठबंधन का फार्मूला खुलकर सामने नहीं आ जाता तब तक किसी भी कयास या समीकरण को स्थायी मानना जल्दबाजी होगी। इन सबके बीच इतना तो साफ़ है कि राहुल गांधी के पीएम पद की दावेदारी पर फिलहाल असहमति जताकर अखिलेश ने भविष्य की राजनीति के कई गहरे संकेत जरूर दिए हैं।
Published on:
11 May 2018 12:08 pm
बड़ी खबरें
View Allलखनऊ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
