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मायावती ने की हुडा और शैलजा से मुलाकात, हरियाणा में कांग्रेस और बसपा की संभावनाएं तेज

बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा चुनाव के लिए यूपी के बाहर कर सकती हैं गठबंधन - हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी शैलजा और हरियाणा कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह हुड्डा से की मुलाकात

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मायावती ने की हुडा और शैलजा से मुलाकात, हरियाणा में कांग्रेस और बसपा की संभावनाएं तेज

मायावती ने की हुडा और शैलजा से मुलाकात, हरियाणा में कांग्रेस और बसपा की संभावनाएं तेज

लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा चुनाव के लिए यूपी के बाहर गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही हैं। सोमवार को उन्होंने हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्षा कुमारी शैलजा और हरियाणा कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के चेयरमैन भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ऐसी संभावना जताई जा रही है कि हरियाणा में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया था। वहीं, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएऩएलडी) से नाता तोड़कर भी यह साफ किया है कि वे गठबंधन अपनी शर्तों पर करेंगी। मायावती ने गठबंधन तोड़ने की वजह दुष्यंत चौटाला का अनुचित रवैया और सीटों के बंटवारे पर तालमेल नहीं हो पाना बताई थी। सोमवार को मायावती के साथ हुड्डा और कुमारी शैलजा की मुलाकात से गठबंधन की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा उप चुनाव के तहत मायावती संगठन को मजबूत करने पर पूरा ध्यान दे रही हैं। उन्होंने उप चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है, जिससे वह क्षेत्र में जाकर समय से चुनाव प्रचार कर सकें। इसी कड़ी में मायावती ने बसपा के राज्य प्रभारियों के साथ बैठक कर अपने-अपने राज्यों के संगठन को मजबूत करने का निर्देश दिया है। यह भी निर्देश दिया है कि राज्य प्रभारी अपने राज्यों में माह में कम से कम 15 दिन अनिवार्य रूप से कैंप करेंगे।

सपा से गठबंधन की उम्मीद में रालोद

यूपी में विधानसभा उप चुनाव अक्टूबर में होने हैं। प्रदेश की 12 सीटों पर होने वाले उप चुनाव में गठबंधन का एक प्रयोग फिर से आजमाया जा सकता है। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) सपा के साथ इस चुनाव में गठबंधन की उम्मीदें तलाश रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद के बीच गठबंधन का प्रयोग विफल हो जाने के बाद बसपा ने खुद को इससे अलग कर लिया था। बसपा के इस रुख के बाद रालोद ने सपा के साथ और मजबूती से बने रहने का ऐलान किया। उसने यहां तक कहा कि रालोद का गठबंधन तो सपा के ही साथ था।

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