लखनऊ. सुप्रीम कोर्ट और सरकार के सख्त रुख को भांपते हुए आखिरकार बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना आलीशान सरकारी बंगला खाली कर दिया। लेकिन बंगला खाली करने के साथ ही मायावती ने ऐसा सियासी दांव चला रहा जिससे पार पाना योगी सरकार और भाजपा दोनों के लिए आसान नहीं होगा। उन्होंने इसे 'कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल' घोषित करने के साथ ही इसकी देखरेख का जिम्मा सरकार के हवाले कर दिया। ऐसे में अब यदि सरकार इसे 'कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल' के तौर पर ही संरक्षित करती है तो उनकी राजनीतिक जीत होगी। यदि सरकार ऐसा न करके कुछ और बनाती है तो मायावती इसे दलित स्वाभिमान से जोड़कर मुद्दा बनाएंगी। अब तक कानून व्यवस्था समेत तमाम मुद्दों पर योगी सरकार को घेरने वाली मायावती कुल मिलाकर अब बंगले के जरिए भी सरकार पर दबाव बनाएंगी। बंगला खाली करने के साथ ही सरकार को सुपुर्द कर अपना कद भी बढ़ाया है। बाद में कोई आरोप न लगे, इससे बचने के लिए उन्होंने पूरा बंगला मीडिया को दिखाया। इसके जरिए भी दो संदेश दिए कि वह पूरा बंगला ज्यों का त्यों छोड़कर जा रही हैं। साथ ही जनता को भी बताने की कोशिश की कि यह 'कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल' ही है। उनकी यादें जुड़ी हैं।
इस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कैराना और नूरपुर उपचुनाव में करारी हार से बीजेपी बौखलाई हुई है। देश भर में हर राज्य में उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि बीजेपी की अब उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
अपनी हार की खबरों को दबाने के लिए ही बीजेपी वाले मेरे बंगले की खबरें चलवा रहे हैं जबकि मियाद से पहले मैं बंगला खाली कर रही हूं।
मायावती ने अपने पुराने बंगले में एक-एक चीजों को संजोग कर रखा है। सफाई को लेकर भी वह काफी ज्यादा ध्यान देती है। बिना अपनी इजाजत के कोई अंदर प्रेवश तक नहीं कर सकता। प्रेस कॉन्फ्रेंस भी वह बाहर लॉबी में ही करती थीं।