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Mob Lynching in UP : मायावती ने किया भाजपा का घेराव, कहा अब पुलिस भी बन रही मॉब लिंचिंग का शिकार

- Mob Lynching पर मायावती ने अलग कानून लाने की कही बात - बीजेपी (Bhartiya Janta Party) को बताया कमजोर इच्छाशक्ति वाली सरकार - उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग को बताया स्वागतीय कदम

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Mayawati

लखनऊ. झारखंड के तबरेज की Mob Lynching में मौत के बाद पूरे देश में एक नई बहस शुरू हो गई है। भीड़ हिंसा के दोषियों पर अंकुश लगाने और सरकारी मशीनरी की जवाबदेही तय करने की मांग उठने लगी है। इस बीच बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने मॉब लिंचिंग पर बयान दिया है। मायावती ने कहा कि मॉब लिंचिंग एक भयानक बीमारी के रूप में उभर रही है और इसका कारण है कि देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकारों का कानून स्थापित नहीं है। इस वजह से दलित, आदिवासी और धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग भी पुलिस का शिकार हो रहे।

मायावती ने कहा कि मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) जैसी घटनाओं पर गंभीर होकर केंद्र को एक अलग देशव्यापी कानून बनाना चाहिए था। लेकिन लोकपाल की तरह मॉब लिंचिंग पर भी केंद्र का रवैया उदासीन है। उन्होंने भाजपा को कमजोर इच्छाशक्ति वाली सरकार बताया। साथ ही उन्होंने यूपी विधि आयोग की मॉब लिंचिंग पर की गई पहल को सराहा और इसे स्वागतीय कदम बताया।

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Mob lynching पर कानून बनाने की सिफारिश

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने मॉब लिंचिंग पर विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है। आयोग के चेयरमैन एएन मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को रिपोर्ट भेजकर मॉब लिंचिंग पर कानून बनाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया कि भीड़ हिंसा से मौत होने पर उम्रकैद और पांच लाख रुपये का जुर्माना आरोपी पर लगाया जाना चाहिए। इसी के साथ रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अगर पुलिस और जिलाधिकारी पीड़ित व्यक्ति या परिवार को जानबूझकर सुरक्षा देने में लापरवाही करता है या मुकदमा नहीं दर्ज करता है, तो उस पुलिस अधिकारी को तीन साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना होने चाहिए।

रिपोर्ट की अन्य सिफारिश

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अगर भीड़ हिंसा से किसी को मामूली चोट आती है तो आरोपी पर सात वर्ष की सजा और एक लाख का जुर्माना होना चाहिए। वहीं गंभीर चोट आने पर दस वर्ष की सजा और तीन लाख रुपये का जुर्माना लगना चाहिए। मायावती ने आयोग की इस पहल को स्वागतोग्य बताया है।

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