
बिहार जातिगणना रीलीज होने के बाद अखिलेश यादव बोले- अब ये निश्चित हो गया है कि PDA ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
बिहार के नीतीश कुमार सरकार ने जाति जनगणना को जारी करके एक बड़ा दांव खेला है। सरकार की तरफ जारी किए गए आंकड़े के अनुसार बिहार में 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग, 19 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है। इसके बाद से अब सियासत शुरू हो गई है।
वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार में जातिगणना जारी किए जाने पर ‘X’ पर ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित, ये है सामाजिक न्याय का गणतीय आधार। जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए।
अखिलेश यादव ने आगे लिखा, “जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी। जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं। नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताकतवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का खात्मा भी करते हैं।
उन्होंने लिखा कि इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है। समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक्की का रास्ता है। अब ये निश्चित हो गया है कि PDA ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।
सवर्णों की आबादी 15.52 फीसदी
बिहार सरकार की तरफ से विकास आयुक्त मुख्य सचिव विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि बिहार में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी, भूमिहार की आबादी 2.86 फीसदी, ब्राह्मणों की आबादी 3.66 फीसदी, कुर्मी की जनसंख्या 2.87 फीसदी, मुसहर की आबादी 3 फीसदी, यादवों की आबादी 14 फीसदी और राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी है।
Updated on:
02 Oct 2023 05:32 pm
Published on:
02 Oct 2023 05:29 pm
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