26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सीडीआरआई रिपोर्ट – ऐसे खत्म होंगी ये 4 गम्भीर बीमारियां

सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में भारत में औषधि विकास का अतीत, वर्तमान और भविष्य पर अनूठी चर्चा हुई।

3 min read
Google source verification
cdri csir introduce 4 new drug development

7 साल में देश से खत्म हो जाएंगी ये 4 गम्भीर बीमारियां

लखनऊ. सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में भारत में औषधि विकास का अतीत, वर्तमान और भविष्य पर अनूठी चर्चा हुई। संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने आंकड़ों के साथ बताया कि आज दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति भारत में बनायी गयी दवाओं का इस्तेमाल कर रहा है। इसलिए भारत को दुनिया का औषधालय कहा जाता है। संगोष्ठी में सीएसआईआर-सीडीआरआई के पूर्व निदेशकों के साथ वर्तमान निदेशक ने भी अपने अपने अनुभव शेयर किए। पूर्व वैज्ञानिकों ने बताया कि सीडीआरआई के दवा अनुसंधान के क्षेत्र में किए गये कार्यो की वजह से आगामी सात सालों में महामारी मानी जाने वाली चार प्रमुख संक्रामक बीमारियों का भारत से खात्मा हो जाएगा।

भारत दुनिया का औषधालय

डॉ. वीपी कम्बोज ने भारत में दवा विकास के बारे में सीएसआईआर-सीडीआरआई के योगदान को बताया। उन्होंने बताया कि आज दुनिया का हर तीसरा व्यक्ति भारत द्वारा बनाई वेक्सीन्स और दवाओं का उपयोग करता है। इसी कारण भारत को दुनिया का औषधालय कहा जाता है। यह दवाओं का ही कमाल है कि 1975 में भारतीयों की औसत आयु 32 वर्ष थी जो अब बढकऱ 62 वर्ष हो गई है। यह साबित करता है कि भारत ने स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में बहुत काम किया है। भारत से अनेक संक्रामक बीमारियां खत्म हो चुकी हैं। कुछ अन्य संक्रामक बीमारियों के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। जैसे लीशमानियासिस (काला आजार) 2018 के अंत तक, फायलेरिएसिस (लिम्फैटिक) 2018 के अंत तक, मीसल्स 2020 तक और ट्यूबरक्युलोसिस 2025 तक भारत से खत्म हो जाएगी।

रोमांचक और संतोषजनक जीवन

संगोष्ठी में अपने अनुभव शेयर करते हुए डॉ. नित्य आनंद ने कहा कि दवा अनुसंधान के साथ जीवन सबसे रोमांचक और संतोषजनक रहा। इसकी वजह से मानव कल्याण और जीविकोपार्जन दोनों में योगदान का अवसर मिला। महत्वपूर्ण बात यह है कि सीडीआरआई ने स्वास्थ्य और बीमारियों पर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया। यह बीमारी की रोकथाम और उनके नियंत्रण में बहुत मददगार साबित हुआ। उन्होंने, बताया कि संस्थान ने आजादी के बाद भारत में फार्मा सेक्टर के विकास और अनुसंधान, एप्लाइड रिसर्च, प्रोसेस डेवलपमेंट में बुनियादी शोध में बहुत मदद की।

कौशल विकास आवश्यक

डॉ. सीएम गुप्ता ने दवाओं की खोज और उसके विकासक्रम पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्ष 1980-2000 के दौरान वैज्ञानिक प्रगति के बावजूद भारत में दवा विकास की गति धीमी रही गई। जबकि पश्चिमी देशों ने तेजी से प्रगति की। उन्होंने बताया कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में औषधि अनुसंधान की गति को बनाए रखने के लिए मोलिक्युलर बायोलॉजी और कम्प्यूटेशनल विज्ञान, औषधीय रसायन विज्ञान और फार्माकोलॉजी में कौशल का विकास जरूरी है। इनके बिना विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा करना कठिन होगा।

जैविक प्रक्रियाओं को भी जानें

वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. तुषार कांति चक्रवर्ती ने कहा कि एक रसायनज्ञ को जैविक प्रक्रियाओं से अवगत होना चाहिए। जीवविज्ञानी को रासायनिक संरचनाओं को भी सीखना चाहिए। दोनों के बीच समन्वय से ही अनुसंधान उत्पादन के निर्माण में मदद मिलती है।

2 लाख करोड़ से ज्यादा का फार्मा कारोबार

वर्ष 1952 में भारत में फार्मा कारोबार 32 करोड़ था, जो वर्ष 2017 में 2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ चुका है। फिर भी जीवविज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, इन-विट्रो विशिष्ट जांच प्रणाली (सेल, रिसेप्टर इत्यादि) में प्रोटीन सेपरेशन, लक्षणांकन, लिगैंड इंटेरेक्शन और नवीन दवा अनुसंधान में जबरदस्त वैश्विक वृद्धि की वजह से भारत को दवा विकास और अनुसंधान में अधिक प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है।

कम्प्यूटेशनल विज्ञान भविष्य की जरूरत

गहन विचार मंथन और व्याख्यान के बाद, प्रो. तपस कुमार कुंडू ने सभी पूर्व निदेशकों को पैनल डिस्कशन के लिए आमंत्रित किया। सीडीआरआई भारत में दवा विकास के लिए कैसे योगदान दे सकता है इस पर चर्चा हुई। सभी पैनलिस्ट डॉ. सीएम गुप्ता के इस विचार से सहमत थे कि मोलिक्युलर बायोलॉजी और कम्प्यूटेशनल विज्ञान, औषधीय रसायन शास्त्र और फार्माकोलॉजी में कौशल विकास बेहद आवश्यक है।

एजिंग रिसर्च पर हो जोर

प्रो. कुंडू ने जीवविज्ञान की बीमारियों को समझने के लिए एजिंग रिसर्च और एपिजेनेटिक्स के लिए नए शोध क्षेत्र का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीडीआरआई को अपने नवीन औषधि विकास एवं अनुसंधान कार्यक्रम के साथ डीजीज मार्कर्स और डायग्नोस्टिक पर अधिक जोर देना चाहिए।

कार्यक्रम में यह हुए शामिल

सीतापुर रोड स्थित जानकीपुरम विस्तार में सीडीआरआई के कैंपस में आयोजित इस संगोष्ठी में निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई, प्रो. तपस कुमार कुंडू, पद्मश्री नित्य आनंद, डॉ.वीपी कम्बोज, डॉ.सीएम गुप्ता, डॉ. तुषार कांति चक्रवर्ती और डॉ. मधु दीक्षित सहित अन्य पूर्व निदेशक शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुमन मलिक ने किया।