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World Theatre Day: ‘चबूतरे’ पर खड़े होकर दर्शकों को हंसाते है ‘देवा’

जिंदगी एक रंगमंच है और हम लोग इस रंगमंच के कलाकार

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लखनऊ

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Ruchi Sharma

Mar 27, 2018

mahesh chandra deva

रुचि शर्मा

लखनऊ. जिंदगी एक रंगमंच है और हम लोग इस रंगमंच के कलाकार। जिंदगी के बारे में लोगों का अपना अपना नजरिया है। कोई कहता है जीवन एक खेल है। कोई कहता है जीवन ईश्वर का दिया हुआ उपहार है , कोई कहता है जीवन एक यात्रा है , कोई कहता है जीवन एक दौड़ है और भी बहुत कुछ। आज अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस है। रंगमंच लिखी हुई कहानी को लोगों के सामने लेकर आना है। अौर एक एेसी ही रंगमंच की कहानी के कलाकार है महेश चंद्र देवा जो गरीब बच्चों की प्रतिभा को 'चबूतरा थियेटर पाठशाला' के जरिए पंख देने में लगे है। महेश चन्द्र देवा पिछले कई सालों से चबूतरा थियेटर पाठशाला संचालित कर रहे हैं। इस पाठशाला में ये उन बच्चों की प्रतिभा को निखारने का काम करते है, गरीबी के चलते अपनी प्रतिभा को नहीं उभार पाते है।

देवा बताते हैं कि इस पाठशाला में उन बच्चों को अभिनय, नृत्य, गायन, लेखन, फाइन आर्ट जैसी अन्य कलाओं को सिखाया जाता है जिसकी प्रतिभा उनमें छुपी है लेकिन पैसे की तंगी के चलते उस प्रतिभा को निखार नहीं पा रहे थे।

चबूतरा' के माध्यम गरीब बच्चों को दे रहे नई पहचान

देवा गरीब और पिछड़े बच्चों को अपनी संस्था 'चबूतरा' थिएटर पाठशाला से जोड़ कर उनकी रुचि के अनुसार उन्हें प्रशिक्षित करते हैं और उनमें आत्मविश्वास जगाते हैं ताकि गरीबी, बेबसी और लाचारी जैसे शब्द उनकी प्रतिभा को न दबा सकें। 'चबूतरा' के माध्यम से इन गरीब तबके के बच्चों को एक नई पहचान मिली है।

दूर किया नन्हे बच्चों का संकोच

देवा कहते हैं कि हमारी कोशिश यहीं रहती है कि हमें बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार उनकी प्रतिभा को निखारें। साथ- साथ हम बच्चों को लेखन कला में भी मजबूत करते हैं। देवा बताते हैं कि कुछ बच्चे जो संकोची होते है खुल कर अपनी बात नहीं कह पाते हैं उन बच्चों को हम उनकी प्रतिभा से रूबरू करवाते है। एक एेसा ही उदाहरण है रूबी का जो 'चबूतरा थिएटर पाठशाला' से जुड़ी तो वह बहुत संकोची और चुपचाप रहने वाली लड़की थी। रंगमंच के संस्थापक महेश चन्द्र देवा बताते हैं, तब रूबी उसके बारे में पूछा जाता था तो वह चुप हो जाती थी। आज वह 50 लोगों के समूह के सामने अपनी बात रख सकती है। यहीं नहीं उसे बेस्ट एक्टिंग का अवॉर्ड भी मिल है। उसके अंदर एक्टिंग कि कला थी अौर उसकी इस कला को हमने अपने 'चबूतरा थिएटर' से पहचान दी।

चार्ल्स चैंपियन की पढ़ाई जाएगी कहानी

देवा बताते हैं कि आज वर्ल्ड थिएटर डे पर हम बच्चों को बताएंगे कि ये दिवस क्यों बनाया जाता है। देवा बताते हैं कि इंसान जिंदगी के कई किस्से अपनी कला के जरिए दुनिया के सामने लाता है। नुक्कड़ नाटक, स्टेज शो, फार्म थिएटर ये इसी के ही रूप है। वे बताते हैं कि आज डालीगंज के चबूतरा थिएटर पाठशाीला में नुक्कड़ नाटक होगा। 'शातिर चोर' हास्य नाटक का मंचन करेगी। चार्ल्स चैंपियन की जीवनी पढ़ाकर बच्चों को उनके बारे में बताया जाएगा।


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