
चन्द्रशेखर पर हुआ जानलेवा हमला, बसपा सुप्रीमों मायावती ने हालचाल तक नहीं लिया।
Chandra Sekhar Attacked: चंद्रशेखर पर हमले के बाद से देश के हर बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं ने ट्वीट किया और यूपी सरकार पर निशाना साधा। लेकिन बसपा सुप्रीमों मायावती ने चंद्रशेखर का हालचाल नहीं लिया और ना ही उनके हमले पर कोई ट्वीट किया। जबकि, मायावती ने बकरीद के मौके पर देशवासियों को बधाई दी।
कहीं मायावती के लिए खतरा तो नहीं रावण
चंद्रशेखर पर हमले के बाद जिस तरह से पोलिटिकल रिएक्शन आए उससे ये तो साफ हो गया कि वर्तमान स्थिति में चंद्रशेखर की सियासी रसूख क्या है? अब यह सवाल उठ रहे हैं कि मायावती हर एक छोटी- बड़ी घटना पर ट्वीट करती हैं। लेकिन चंद्रशेखर पर हुए हमले पर उन्होंने ट्वीट क्यों नहीं किया। इस पर सवाल उठने लगे हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चंद्रशेखर के बढ़ते कद को मायावती बसपा के लिए खतरा मान रही हैं।
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को तो कभी खुले तौर पर मायावती का विरोध करते नहीं दिखा गया हैं। लेकिन बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती शायद उनकी मौजूदगी से खतरा महसूस कर रही हैं। इसलिए मायावती ने चंद्रशेखर के हमले पर कोई ट्वीट नहीं किया। लोकसभा चुनाव के समय मायावती ने चंद्रशेखर को भारतीय जनता पार्टी का एंजेंट बताया था। इतना ही नहीं मायावती आए दिनों कहती रहती है कि चंद्र शेखर दलितों का वोट बांटने का काम कर रहे हैं।
क्या बसपा को संजीवनी की जरुरत नहीं?
इससे पहले मायावती चंद्रशेखर से किसी भी तरह का राजनीतिक रिश्ता रखने से भी इनकार चुकी हैं। अब सवाल उठ रहा है कि इस समय बसपा अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। तो क्या बसपा को सियासी संजीवनी की जरूरत नहीं है? क्या बसपा को चंद्रशेखर जैसा ऊर्जावान नेता नहीं चाहिए?
मायावती को कांशीराम से राजनीति विरासत में मिली। तो क्या अब मायावती भी बाकी वंशवादियों की तरह अपने परिवार को ही अपनी पार्टी की कमान सौंपना चाहती हैं या उन्हें चंद्रशेखर में अपने वारिस की बजाए प्रतिद्वंद्वी और खतरा नजर आता है।
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एक ही बिरादरी के मायावती और चंद्रशेखर
अगर वोटों के हिसाब से समझें तो उत्तर प्रदेश में दलितों की आबादी लगभग 21% से 23% है। दलितों का यह समाज दो हिस्सों में बंटा है। एक, जाटव जिनकी आबादी करीब 14% है और जो मायावती की बिरादरी हैं। चंद्रशेखर भी जाटव हैं, तो मायावती का डरना लाजिमी है। मंडल आंदोलन में दलितों के जाटव वोट वाले हिस्से की राजनीति से बसपा मजबूत बनी और मायावती उनकी लीडर बनीं।
वहीं, अब तेजी से चंद्रशेखर उर्फ रावण दलितों में अपनी छाप छोड़ रहे हैं। जिस तरह कल चंद्रशेखर पर हमले के बाद पॉलिटिकल रिएक्शन आए उससे ये तो साफ हो गया कि वर्तमान स्थिति में चंद्रशेखर की सियासी रसूख तेजी बढ़ रहा है। चंद्र शेखर पर हमले के बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने यूपी के अलग- अलग जगहों पर प्रदर्शन कर जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने मांग की कि चंद्रशेखर आजाद को कड़ी सुरक्षा दी जाए। साथ ही हमला करने वालों को जल्द गिरफ्तार कर सख्त से सख्त सजा दी जाए।
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बता दें कि भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज कांशी राम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर बुधवार को जानलेवा हमला हुआ था। इसमें वो बाल-बाल बच गए। यह हमला उस समय हुआ जब चंद्रशेखर अपनी टोयोटा कार में चार साथियों के साथ जा रहे थे, तभी सहारनपुर के देवबंद में उनकी कार पर फायरिंग की गई। फायरिंग में गोली चंद्रशेखर की कमर को छूकर निकल गई। गोली के छर्रे लगने से आजाद घायल हो गए, जिनका अस्पताल में इलाज हुआ। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
Updated on:
29 Jun 2023 07:19 pm
Published on:
29 Jun 2023 07:18 pm
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