
लंबे समय ये घरों में कैद बच्चों का मन न तो टीवी/मोबाइल देखने में लगता है और न अकेले खेलने में, उन्हें अब स्कूल और दोस्त याद आने लगे हैं।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के चलते इस बार वर्ष भी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। घरों में रह रहे बच्चे अब ऊबने लगे हैं। ऑनलाइन क्लास भी बोरिंग लगती है। पढ़ने को उन्हें न तो नई किताबें मिल रही हैं और न ही खेलने के लिए दोस्त। कोरोना के चलते बाहर निकलने पर पाबंदी है, यहां तक कि पड़ोसी के बच्चों से भी मिलना नहीं होता। अब घर ही उनका पार्क है और मम्मी-पापा दोस्त। लेकिन, वर्क फ्रॉम होम के चलते उनका स्वभाव भी बदलने लगा है। वह बात-बात पर बच्चों को डांटते हैं। लंबे समय ये घरों में कैद बच्चों का मन न तो टीवी/मोबाइल देखने में लगता है और न अकेले खेलने में। उन्हें अब स्कूल और दोस्त याद आने लगे हैं। कई बच्चे पीठ पर बैग लादकर एक कमरे से दूसरे कमरे तक जाते हैं और पूछते हैं स्कूल तुम कब खुलोगे?
लखनऊ (Lucknow) के इंदिरानगर की रश्मि बाजपेई के दो बच्चे हैं, एक पांचवी में पढ़ता है दूसरा इस बार अपर केजी में है। कहती हैं कि अब तो घर में रहते-रहते घुटन सी होने लगी है। बच्चे भी बहुत परेशान हैं। वह स्कूल जाने की जिद करते हैं वहीं, हजरतगंज की सुचिता बताती हैं कि उनका बेटी तीसरी क्लास में है। अभी तक उसका पढ़ने में खूब मन लगता है, लेकिन अब वह चिड़चिड़ी सी हो गई है। एक आईटी कंपनी में जॉब करने वाले ठाकुरगंज के रमेश बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर के बाद से ही वर्कफ्रॉम होम कर रहे हैं। ऑफिस का वर्कलोड इतना है कि घर में बच्चों को टाइम नहीं दे पाते। कई बार बच्चे काम में डिस्टर्ब करते हैं तो न चाहते हुए भी डांटना पड़ता है।
सीखने की उम्र में घरों में कैद बच्चे
बच्चे के भविष्य को लेकर शहर के बालागंज निवासी चित्रा मिश्रा बेहद परेशान हैं। 13 मई को उनका बेटा पांच वर्ष का हो जाएगा। बताती हैं कि एक वर्ष पहले प्लेग्रुप में बेटे का एडमिशन कराया था। तभी कोरोना आ गया, जिसके चलते स्कूल-कॉलेज बंद हो गये। उम्मीद थी कि इस बार बच्चा स्कूल जाएगा, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते फिर से पढ़ाई चौपट हो रही है। कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि सीखने की उम्र में बच्चा घर में है। कई गार्जियन को चिंता है कि उनके बच्चों की नींव कमजोर हो रही है।
नई कॉपी-किताबों की खुशबू मिस कर रहे बच्चे
कोरोना महामारी के चलते घरों में कैद बच्चे नई कॉपी-कितानों की खुशबू और उनसे मिलने वाली खुशी को मिस कर रहे हैं। पुरानी किताबों को देखकर बच्चे बोर हो रहे हैं और गार्जियन से नई किताबों को दिलाने की जिद कर रहे हैं। लखनऊ चौक की आरती केसरी बताती हैं कि पुरानी किताबें देखते ही उनकी बेटी पढ़ने से भागने लगती है। वह नई किताबों को दिलाने की जिद करती है। कहती है कि पुरानी किताबें वह कई बार पढ़ चुकी है।
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पूरे दिन में मोबाइल में उलझे रहते बच्चे
प्राइमरी ही नहीं हाईस्कूल-इंटर तक के बच्चे भी स्कूल-कॉलेज बंद होने से परेशान हैं। यूपी बोर्ड (UP Board) से 10वीं के छात्र निखिल कहते हैं कि घर पर बैठे-बैठे ऊब गया हूं। ऑनलाइन पढ़ाई बहुत ज्यादा समझ में नहीं आती। 8वीं के अभिषेक कहते हैं अब पढ़ने में मन नहीं लगता, क्योंकि पता है कि प्रमोट हो ही जाएंगे। वहीं के छात्र गौरव कहते हैं कि हे भगवान, कोरोना खत्म कर दो, ताकि अब स्कूल खुल जाएं। वहीं, गार्जियन रामेश्वर कहते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 7वीं में पढ़ रहे बेटे को मोबाइल दिलाया था, जिसे टाइम पर रिजार्ज भी कराते हैं, लेकिन वह पूरे दिन मोबाइल में ही उलझा रहता है। रामेश्वर ही नहीं, ऐसे कई और गार्जियन हैं जो बच्चों के करियर को लेकर परेशान हैं और जल्द कोरोना खत्म होने और स्कूल खुलने प्रार्थना करते हैं।
15 मई तक सभी स्कूल-कॉलेज बंद
कोरोना संक्रमण (Corona Infection) के चलते उत्तर प्रदेश में 15 मई तक सभी स्कूल-कॉलेज बंद हैं। यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा 20 मई तक स्थगित कर दी गई है। उत्तर प्रदेश में 8 मई से बोर्ड परीक्षा होनी थी। अब परीक्षा की नई तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। सीबीएसई बोर्ड ने 10वीं के एग्जाम रद्द कर दिये हैं और 12वीं की परीक्षा को स्थगित कर दिया है। वहीं, आईसीएसई बोर्ड की 10वीं-12वीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। कोरोना की स्थिति को देखते हुए जून में फैसला किया जाएगा।
Published on:
11 May 2021 02:28 pm
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