
उत्तर प्रदेश की साल 2017 में पहली बार सत्ता संभालने के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी मंत्रियों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देने के लिए कहा था। इसके बाद सीएम योगी ने खुद तो इसका पालन किया। लेकिन सभी मंत्री और अधिकारी इसका पूरी तरह से पालन नहीं कर सके। सीएम योगी ने दोबारा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने मंत्रियों से फिर से इस आशय की अपेक्षा की है। सीएम योगी ने अपने मंत्रियों को तीन माह में संपत्ति की घोषणा के केवल मौखिक निर्देश नहीं दिए हैं, बल्कि उन्हें लिखित में पूरी 'आचरण संहिता' उपलब्ध करवाई है। इसमें कहा गया है कि मंत्रियों को सोने-चांदी के मुकुट या ऐसे प्रतीक जो सामंतशाही का अहसास करवाते हैं, स्वीकार नहीं करने चाहिए। मंत्रियों को 5000 रुपये से अधिक मूल्य के गिफ्ट भी नहीं लेने चाहिए। मंत्रियों से आशा की है कि वे इस संहिता का पूरी ईमानदारी से पालन करें।
साल 2009 में मंत्रियों के लिए बनी थी आचार संहिता
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सभी निर्वाचित सदस्यों, जिसमें मंत्री भी शामिल है के लिए सार्वजनिक आचरण के मानक तय किए गए हैं। इसके अलावा वर्ष 2009 में गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों से मंत्रियों के लिए एक आचार संहिता साझा की थी।
मंत्रियों के लिए तय की गई थी भूमिका
इसमें मंत्रियों के लिए पुरस्कार, यात्रा, संपत्ति, परिवार के सदस्यों की भूमिका सहित हर कड़ी से जुड़ी लक्ष्मण रेखा का जिक्र है। केंद्र से लेकर राज्यों तक ने इसे सैद्धांतिक तौर पर स्वीकार तो किया। लेकिन व्यावहारिक तौर पर इसके सभी पहुलओं को अमल में लाने में हिचक बनी रही।
पहले कार्यकाल में मंत्रियों ने नहीं किया पालन
बता दें कि सीएम योगी ने पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही सभी मंत्रियों को अपनी संपत्ति का ब्योरा उपलब्ध करवाने को कहा था। योगी ने खुद तो इसका पालन किया, लेकिन सभी मंत्री पूरी तरह से इसका पालन नहीं कर सके।
दोबारा सीएम ने मंत्रियों को पाठ पढ़ाया
दूसरे कार्यकाल का एक महीना पूरा होते ही सीएम योगी ने सभी मंत्रियों को न केवल एक बार फिर संपत्ति व आचरण को लेकर पाठ पढ़ाया, बल्कि, इस बार लिखा-पढ़ी में 'डूज ऐंड डोंट्स' भी दे दिए।
सीएम योगी ने मंत्रियों से अपेक्षा की है कि हर साल 31 मार्च तक अपनी संपत्ति का ब्योरा सीएम कार्यालय को दें।
सरकार की छवि पर न पड़े- सीएम योगी
मंत्री या उनके परिवार का सदस्य कोई ऐसा काम नहीं शुरू करेगा जो सरकार से मिलने वाले लाइसेंस, परमिट, कोटा, पट्टा पर आधारित हो। अगर मंत्री बनने के पहले से यह कार्य चल रहा है तो सीएम को उसकी पूरी सूचना देनी होगी। इन सभी मानकों के पालन व उल्लंघन से जुड़े विषयों के लिए सीएम के मामले में पीएम और मंत्रियों के मामले में सीएम प्राधिकारी होंगे।
5000 से अधिक का उपहार राज्य की संपत्ति
किसी मंत्री को 5,000 रुपये से अधिक मूल्य के उपहार या प्रतीक चिह्न नहीं लेने चाहिए। इससे महंगा उपहार राज्य सरकार की संपत्ति समझा जाएगा। उसे ट्रेजरी में जमा करवाना होगा। अगर मंत्री महंगा उपहार अपने पास रखना चाहता है, तो उसे उपहार की वास्तविक कीमत से 5 हजार रुपये घटाने के बाद बची राशि का ट्रेजरी में भुगतान करना होगा। मंत्री या उनके परिवार को जिसके साथ सरकारी लेन-देन है, उससे कीमती उपहार नहीं लेने चाहिए, न ही कोई ऐसा कर्ज लेना चाहिए जिससे कर्तव्य प्रभावित हो। विदेश दौर पर मिले प्रतीकात्मक उपहार जैसे सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न या समारोह से जुड़े उपहार मंत्री रख सकेंगे। बाकी ट्रेजरी में जमा करवाने होंगे। मंत्री किसी भी संगठन से पुरस्कार लेने से पहले उसके बारे में पूरी जांच-पड़ताल करें। संस्था ठीक है तो पुरस्कार ले सकते हैं, लेकिन नकद धनराशि नहीं ली जानी चाहिए। अगर पुरस्कार देने वाली संस्था विदेशी है तो सरकार से अनुमति लेनी होगी।
Published on:
28 Apr 2022 01:51 pm
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