
लोकसभा चुनाव में होने में अब कुछ महीने ही बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने हिसाब से एक दूसरे गठबंधन कर रहे हैं। इसी कड़ी में बीजेपी का रथ रोकने के लिए कांग्रेस, सपा , आप, टीएमसी समेत देश के कई दलों ने मिलकर 'गठबंधन' बनाया है। इस गठबंधन का नाम 'आईएनडीआईए' रखा है। हालांकि, इस गठबंधन का अब जेडीयू हिस्सा नहीं है। जेडीयू एनडीए में शामिल हो गई। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
इतना ही नहीं 'आईएनडीआईए' गठबंधन में दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों में तल्खी बढ़ती जा रही है। यूपी में कांग्रेस अपनी प्रथम वरीयता वाली सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है, जबकि सपा इन सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है। ऐसे में गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है।
कांग्रेस ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को वरीयता के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा है। पहली प्राथमिकता में उन सीटों को रखा है, जिसमें 2009 और 2014 में कांग्रेस जीती थी। इसके साथ ही पिछले साल नगर निकाय चुनाव में जहां पर कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा, उन सीटों को भी शामिल की है। इस तरह कांग्रेस ने 30 सीटों पर दावा किया। लेकिन सपा 20 सीटे देने को तैयार है।
सपा और कांग्रेस की तरफ से सीट बंटवारे को लेकर एक कमेटी बनी। दोनों दलों के बीच दो दौर की बात हुई। पहले कांग्रेस और सपा ने हर सीट पर दो- दो उम्मीदवारों के नाम रखे। सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को करीब 20 सीटें दी जा रही हैं, लेकिन इसमें उसकी पहली प्राथमिकता वाली सीटों की संख्या सिर्फ पांच से सात ही है। अन्य वें सीटें दी जा रही है, जहां पर नो तो कांग्रेस का कभी जनाधार रहा है, ना ही संगठनात्मक तैयारी है। ऐसे में कांग्रेस ने इन सीटों को लेने से मना कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, कानपुर के अलावा जालौन, बांसगांव, बरेली, सीतापुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि सीटें देने की पहल की गई है, लेकिन कांग्रेस इन सीटों को लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस की पहली प्राथमिकता में फर्रुखाबाद, लखीमपुर खीरी आदि सीटें हैं, लेकिन इन सीटों पर सपा ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसी तरह सहारनपुर सीट भी सपा नहीं देना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। हालांकि, हालांकि, दोनों पार्टी के नेता जल्द ही मसला सुलझाने का दावा कर रहे हैं लेकिन अंदर खाने हालात विपरीत है।
Updated on:
15 Feb 2024 09:10 am
Published on:
15 Feb 2024 09:08 am
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